धनबाद: अफसरवा सब ठग लेलको! वाल्मीकि आंबेडकर मलिन आवास योजना के लाभुकों का यह दर्द है. इस मामले में अनियमितता की पुष्टि भी हुई. लेकिन कार्रवाई नहीं हुई.
क्या है योजना : वर्ष 2007 में यह योजना आयी. गरीब लोगों के लिए 426 आवास बनना था. प्रत्येक आवास पर चालीस हजार रुपया खर्च होना था. आवास बनाने का काम एनजीओ फूरिडा को दिया गया. फूरिडा को अग्रिम राशि के रूप में एक करोड़ 38 लाख रुपया दिये गये. कोरंगा बस्ती, गोल्फ ग्राउंड, मंडल बस्ती आदि जगहों में 204 आवास बनाये गये.
इनमें किसी में दरवाजा नहीं तो कुछ का छत नहीं. दर्जनों आवास का काम आधा अधूरा पड़ा है. जो ईंट लगी, वह भी घटिया क्वालिटी की. इतना ही नहीं निगम ने चार वर्ष पहले ही जिन आवासों के निर्माण के लिए फुरिडा को राशि का भुगतान किया गया था, वह आवास भी आज तक नहीं बना. जब मामला प्रकाश में आया तो नगर निगम के तत्कालीन मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी आनंद मोहन सिंह ने सोची-समझी नीति के तहत, जिन अभियंताओं ने इस घोटाले को अंजाम दिया था, उन्हीं लोगों को जांच का जिम्मा सौंपा गया.
एफआइआर की अनुशंसा : वर्ष 2011 में तत्कालीन नगर विकास सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी द्वारा जांच दल का गठन किया गया. पांच सदस्यीय टीम द्वारा दी गयी रिपोर्ट में वित्तीय अनियमितता की पुष्टि की गयी और दोषियों पर एफआइआर की अनुशंसा की गयी. एक साल बीत गये लेकिन आज तक किसी भी अधिकारी पर एफआइआर नहीं की गयी. फुरिडा द्वारा ली गयी अग्रिम राशि 60-70 लाख की रिकवरी के लिए जिला प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई भी नहीं की गयी. पार्षद निर्मल मुखर्जी ने फूरिडा का मामला उठाया था.
गायब हुई फूरिडा की फाइल : नगर निगम से फूरिडा की फाइल गायब हो गयी. वाल्मीकि आंबेडकर मलिन बस्ती योजना के संबंध में नगर आयुक्त से पूछा गया तो श्री आयुक्त ने कहा कि फूरिडा की फाइल नहीं मिल रही है. फाइल खोजा जा रहा है. फाइल डील करनेवाले क्लर्क को नोटिस किया गया है. फाइल मिलने के बाद ही अद्यतन स्थिति की जानकारी दी जा सकती है.
अफसरवा सब ठग लेलको : कोरंगा बस्ती में बाल्मीकि आवास योजना के तहत चालीस से पचास मकान बनाये गये हैं. लेकिन यहां एक भी मकान सही सलामत नहीं है. किसी मकान की छत नहीं, किसी मकान का दरवाजा नहीं.
कुछ का छत है तो बारिश का पानी टपकता है. दर्जनों मकान के ईंट को दीमक चाट चुकी है, कभी भी गिर सकता है. लाभुक जवा देवी, मीना देवी, शांति देवी, नुनी बाला देवी, शकुंतला देवी, भेगा ने बताया कि तीन चार साल पहले सरकारी आदमी आइल हलो. कहलो कि मिट्टी के घर तोड़ कर पक्का मकान बना देबे. मिट्टी के मकान ना रहलो और पक्का मकान भी ना मिललो. बहुत कष्ट में जिंदगी है.