21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

जलापूर्ति सर्वे रिपोर्ट की जांच करेगा निगम

मेयर ने जलापूर्ति पर की समीक्षा बैठक, एनजेएस की सर्वे रिपोर्ट की होगी जांच धनबाद : 700 करोड़ की जलापूर्ति परियोजना को लेकर नगर निगम रेस हो गया है. मंगलवार को मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल ने जलापूर्ति की समीक्षा बैठक की. मिसिंग लाइन सर्वे रिपोर्ट पर चर्चा की. कंसल्टेंट एनजेएस की सर्वे रिपोर्ट की जांच का […]

मेयर ने जलापूर्ति पर की समीक्षा बैठक, एनजेएस की सर्वे रिपोर्ट की होगी जांच

धनबाद : 700 करोड़ की जलापूर्ति परियोजना को लेकर नगर निगम रेस हो गया है. मंगलवार को मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल ने जलापूर्ति की समीक्षा बैठक की. मिसिंग लाइन सर्वे रिपोर्ट पर चर्चा की. कंसल्टेंट एनजेएस की सर्वे रिपोर्ट की जांच का आदेश दिया. माडा के कार्यपालक अभियंता सह टीएम (तकनीकी सदस्य) इंद्रेश शुक्ला को जांच का नोडल पदाधिकारी बनाया गया. मेयर श्री अग्रवाल ने बताया कि एनजेएस की सर्वे रिपोर्ट का अवलोकन किया जा रहा है. लगभग 50 प्वाइंट पर जांच करायी जायेगी. इसके बाद टेंडर की प्रक्रिया शुरू की जायेगी. धनबाद में आज भी पानी की समस्या है. मैथन से जो पानी आ रहा है, उस राइजिंग पाइप में जगह-जगह छेद है. इसके कारण 60 की जगह 35 एमएलडी पानी ही शहर पहुंच पाता है.

मैथन से भेलाटांड़ तक बिछेगी नयी राइजिंग पाइप

नयी परियोजना में मैथन से भेलाटांड़ वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तक नयी राइजिंग पाइल बिछायी जायेगी, ताकि घर-घर तक पानी पहुंचाया जा सके. कतरास में जलापूर्ति के लिए तोपचांची झील पर भी काम होगा. महेशडूबा चैनल से तोपचांची झील में पानी गिराया जायेगा. इससे तोपचांची में पर्याप्त पानी रहेगा. कतरास क्षेत्र में जलापूर्ति की संकट नहीं होगा. जामाडोबा वाटर जल संयंत्र को भी रिनोवेट किया जायेगा. दूसरी ओर पिट वाटर को भी ड्रिंकिंग वाटर बनाने की दिशा में काम चल रहा है. 36 खदानों के पिट वाटर को ड्रिंकिंग वाटर बनाया जायेगा. आनेवाले समय में धनबाद में जल संकट नहीं रहेगा. बैठक में माडा, पेयजल व स्वच्छता विभाग व एनजेएस के प्रतिनिधि ने भाग लिया.

कहीं-कहीं लीकेज है

भेलाटांड वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में एलम का इस्तेमाल पर्याप्त रूप से किया जाता है. यहां पानी गंदा नहीं हो सकता है. बरसात के कारण कुछ इलाकों में गंदा पानी मिल सकता है. यह सच है कि कहीं-कहीं लिकेज है.

नवरंग सिंह, अधीक्षण अभियंता, पेयजल विभाग

नहीं होती है जलमीनार की सफाई

शहर के लोगों को साफ पानी देने के लिए 19 जलमीनार बनाये गये हैं. मगर इनकी नियमित साफ-सफाई नहीं होती है. साफ-सफाई की जिम्मेवारी वीटेक वाबैग लिमिटेड प्राइवेट कंपनी की है. वाटर ट्रीटमेंट की भी पूरी जिम्मेवारी इसी कंपनी की है. इसके लिए इन्हें फंड भी मिलता है. आखिरी बार 2015 में मटकुरिया, पुराना बाजार और मनईटांड़ के जलमीनार की सफाई हुई थी. वहीं दूसरे जलमीनारों के बारे में बात करें तो खुद पेयजल विभाग को भी इसके साफ-सफाई की तारीख की जानकारी नहीं है.

लीकेज भी पानी करता है गंदा

अगर शहर का भ्रमण किया जाए तो बहुत सी जगहों पर लोग पाइप के लिकेज से पानी लेते नजर आयेंगे. मगर यह लिकेज पानी को गंदा करने में सबसे अहम भूमिका निभाते हैं. इसके चलते पानी की अम्लीयता और धूलकण बढ़ जाती है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें