धनबाद : जिला परिषद द्वारा दुकानों के किराये में भारी बढ़ोतरी को लेकर दुकानदारों में असंतोष व्याप्त है. चेंबर ने आज जिप के सीइओ सह डीडीसी से मिल कर अपना विरोध जताया. कहा कि एसडीएम कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या कर किराया निर्धारण किया गया है.शनिवार को बरटांड़ चैंबर ऑफ काॅमर्स के अध्यक्ष कुमार […]
धनबाद : जिला परिषद द्वारा दुकानों के किराये में भारी बढ़ोतरी को लेकर दुकानदारों में असंतोष व्याप्त है. चेंबर ने आज जिप के सीइओ सह डीडीसी से मिल कर अपना विरोध जताया. कहा कि एसडीएम कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या कर किराया निर्धारण किया गया है.शनिवार को बरटांड़ चैंबर ऑफ काॅमर्स के अध्यक्ष कुमार मधुरेंद्र सिंह के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल डीडीसी शशि रंजन से मिल कर कहा कि अनुमंडल पदाधिकारी के जिस आदेश का हवाला देकर किराया में बढ़ोतरी की गयी है, उस आदेश के तहत केवल 13 दुकानों का किराया बढ़ाया जाना था. उस आदेश का गलत तरीके से इस्तेमाल कर जिप की तत्कालीन अध्यक्ष माया देवी ने सभी दुकानों पर लागू करा दिया. डीडीसी ने कहा कि किराया बढ़ाने का निर्णय जिप बोर्ड ने लिया है.
इसमें किसी तरह का बदलाव वे नहीं कर सकते. इस पर चेंबर के सदस्यों ने कहा कि फिर जिला परिषद के वर्तमान अध्यक्ष रोबिन चंद्र गोरांई द्वारा भाड़ा निर्धारण समिति का गठन क्यों किया गया. इस कमेटी में जिला चेंबर के अध्यक्ष राजेश गुप्ता भी सदस्य हैं. चैंबर के सदस्यों ने जिप के कार्यपालक पदाधिकारी चंद्रजीत सिंह को भी एक ज्ञापन दिया. उनसे मांग की कि किराया पर फिर से विचार कर दुकानदारों को कम से कम दो माह की मोहलत दी जानी चाहिए.
क्या कहते हैं दुकानदार
280 रुपया मासिक से 12 से 16 सौ रुपये तक किराया कहीं से भी उचित नहीं है. किराया का निर्धारण मार्केट की हालत के अनुसार होना चाहिए. शिकायत मुख्यमंत्री जन संवाद में भी की गयी है. कई दुकानदारों को नोटिस तक नहीं मिला है.
कुमार मधुरेंद्र सिंह, बरटांड़
किराया को लेकर गलत नीति अपनायी जा रही है. 80 से 100 वर्ग फुट की दुकान का इतना ज्यादा किराया कहीं नहीं है. जिप बोर्ड को इस पर फिर से विचार करना चाहिए. इस मामले में जरूरत पड़ी तो न्यायालय की भी शरण में जायेंगे.
रंजीत सिंह, बरटांड़.
जिला परिषद अचानक चार वर्षों का किराया मांग रही है. एक-एक दुकानदार को 70 से 80 हजार का बिल भेजा गया है. हर माह किराया मांगा जाना चाहिए था. किराया का फिर से निर्धारण कर दुकानदारों को कुछ मोहलत मिलनी चाहिए.
राज रंजन सिन्हा, बरटांड़
जिला परिषद का निर्णय अव्यावहारिक है. धरातल पर किराया का आकलन होना चाहिए. दुकानदारों की माली हालत देख कर किराया वसूलने का फैसला होना चाहिए. वर्तमान दर से किराया देना संभव नहीं है.
गजानंद केसरी, बरटांड़