धनबाद/ जमशेदपुर: राज्य की 51 पिछड़ी जातियों (ओबीसी) की जमीन पर हाउसिंग लोन देने के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआइ) अब उस भूमि का पिछले 12 साल का ही रिकॉर्ड देखेगा. हालांकि आदिवासी (एसटी) जमीन होने की स्थिति में उसका 30 साल पुराना रिकॉर्ड देखने संबंधी सीलिंग जारी रखेगा.
सीएनटी पर हाइकोर्ट के फैसले को लेकर एसबीआइ ने लैंड रिकॉर्ड (ओबीसी और एसटी लैंड पर) की अवधि बढ़ा कर 30 साल कर दी थी. इस अवधि के बीच उस जमीन पर कोई विवाद नहीं होने या फिर किसी का दावा नहीं होने की स्थिति में ही बैंक संबंधित पक्ष को लोन देने के लिए तैयार होता था. इस कदम के बाद बैंक का हाउसिंग लोन का कारोबार घट कर 30 प्रतिशत ही रह गया था. इससे बैंक को अपने आदेश में संशोधन करना पड़ा. संशोधित आदेश 26 मई को जारी किया गया.
दो प्रोजेक्ट रिकॉर्ड देखने के बाद लोन : एसबीआइ ने बिल्डरों के दो प्रोजेक्ट देखने के बाद ही उन्हें लोन देने का फैसला किया है. उक्त दोनों प्रोजेक्ट की अद्यतन स्थिति क्या है, यदि प्रोजेक्ट में पार्टनरशिप है, तो उसकी स्थिति क्या है. पार्टनरशिप में यदि एक की स्थिति बेहतर है, तो उसे भी लोन दिया जा सकता है.
सीएमडी के समक्ष उठा था मामला
एसबीआइ अधिकारियों ने पिछले दिनों सीएमडी प्रतीप चौधरी के जमशेदपुर दौरे के क्रम में इस मामले को उठाया था. अधिकारी यह बात समझाने में सफल रहे थे कि उनका कारोबार तो प्रभावित हो ही रहा है, साथ ही ग्राहकों से संबंध भी खराब होने लगा है. ऐसी स्थिति में 30 साल का रिकॉर्ड देखने के मामले में लचीला रुख अपनाया जाना चाहिए.
पुराने आदेश में संशोधन
बैंक सूत्रों ने बताया कि जब सीएनटी के फैसले पर हाइकोर्ट ने अपना रुख साफ कर दिया है, तो इस दिशा में चाह कर भी कुछ नहीं किया जा सकता है. ऐसी स्थिति में कारोबार के लिए हाइकोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए कोई दूसरा रास्ता निकालना होगा. इस क्रम में एसबीआइ मुख्यालय ने पुराने आदेश में संशोधन कर नया आदेश जारी किया. रियल स्टेट के कारोबार को यदि बचाना है, तो बैंकों को नियमों में कुछ लचीलापन लाना होगा.