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इंटक जेबीसीसीआइ में हो सकता है शामिल : राजेंद्र

धनबाद/बेरमो : इंटक मामले को लेकर बुधवार को दिल्ली हाइकोर्ट में सुनवाई हुई. बुधवार को कोर्ट में दो मामलों की सुनवाई हुई. पहले केस में इंटक रेड्डी व राजेंद्र गुट को जेबीसीसीआइ से अलग रखने तथा वेज बोर्ड-दस में इंटक की सीट छह से घटा कर चार किये जाने का मामला था. इस बाबत इंटक […]

धनबाद/बेरमो : इंटक मामले को लेकर बुधवार को दिल्ली हाइकोर्ट में सुनवाई हुई. बुधवार को कोर्ट में दो मामलों की सुनवाई हुई. पहले केस में इंटक रेड्डी व राजेंद्र गुट को जेबीसीसीआइ से अलग रखने तथा वेज बोर्ड-दस में इंटक की सीट छह से घटा कर चार किये जाने का मामला था. इस बाबत इंटक के राष्ट्रीय महामंत्री राजेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय ने इस केस को डिसमिस करते हुए इंटक पर लगायी रोक हटा ली है.
इससे अब कोल इंडिया की सभी कमेटी में इंटक के प्रतिनिधित्व का रास्ता साफ हो गया है. यह एेतिहासिक फैसला कोल इंडिया के सवा तीन लाख कोयला मजदूर तथा दो लाख ठेका मजदूर के परिवार की जीत है. कहा कि इसके अलावा माननीय न्यायालय ने सालाना बोनस के सवाल पर श्री दुबे द्वारा दर्ज कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट को भी खारिज कर दिया है.
उक्त जानकारी इंटक के राष्ट्रीय महामंत्री राजेंद्र प्रसाद सिंह, फेडरेशन के महासचिव एसक्यू जामा एवं कुमार जय मंगल सिंह ने दिल्ली से दूरभाष पर दी. अलग-अलग गुट अलग-अलग दावे कर रहा है. इंटक विवाद का निबटारा अब आगामी सात जनवरी 2019 की सुनवाई में होगा.
अपनी डफली, अपना राग : फेडरेशन के महासचिव श्री जामा के अनुसार कोर्ट के फैसले के बाद अब इंटक जेबीसीसीआइ की मानकीकरण कमेटी सहित सभी कमेटियों में शिरकत कर सकता है. कहा कि जेबीसीसीआइ के अलावा कोल इंडिया की अन्य सभी कमेटियों में इंटक पूर्व की तरह प्रतिनिधित्व करेगा या नहीं यह एक-दो दिनों के बाद कोर्ट की ऑर्डर कॉपी का अध्ययन करने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है.
एक दूसरा मामला सालाना बोनस को लेकर वर्ष 2016 में कोल इंडिया की बैठक में इंटक नेता राजेंद्र सिंह, एसक्यू जामा व जेबीआर शर्मा को शामिल किये जाने पर इंटक ददई गुट ने याचिका दायर की थी. इस मामले को भी डिसमिस कर दिया गया है. इंटक मामले पर अभी सुनवाई नहीं हुई है. अन्य मामलों पर सुनवाई की अगली तिथि आगामी सात जनवरी 2019 मुकर्रर की गयी है.
ददई फिर अलाप रहे अपना राग : इधर इंटक नेता राजेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा है कि रेड्डी गुट जेबीसीसीआइ समितियों में शामिल हो सकता है. दूसरी ओर ददई गुट का कहना है कि सभी कमेटियों से बाहर करने के खिलाफ श्री रेड्डी की याचिका पर बुधवार को सुनवाई नहीं हो पायी. इसलिए इंटक पूर्व की तरह सभी कमेटियों से बाहर रहेगा.
अगर कोल इंडिया या किसी ने शामिल किया तो यह कोर्ट ऑफ कंटेंप्ट होगा. इधर, इंटक केके तिवारी व महाबली मिश्रा गुट का कहना है कि रेड्डी और ददई की दलीलें खारिज हो गयीं. हमने इंटक के नाम और पंजीकरण का केस किया है. इसकी सुनवाई सात जनवरी 2019 को होगी. इसी दिन इंटक के सभी मामलों पर सुनवाई होगी.
रेड्डी और ददई गुट की दलीलें खारिज हुईं : तिवारी व महाबली
कोल इंडिया व इसकी विभिन्न अनुषंगी कंपनियों की कई कमेटियों में पिछले कई वर्षों से इंटक न सिर्फ अपनी अहम भागीदारी निभाता रहा है, बल्कि इंटक का इन कमेटियों पर आधिपत्य भी रहा है. सीआइएल स्तर की कमेटियों में सीआइएल एपेक्स जेसीसी, सीआइएल सेफ्टी बोर्ड, सीआइएल वेलफेयर बोर्ड, जेबीसीसीआई स्टैंडर्डाइजेशन कमेटी, कोल एडवाइजरी काउंसिल, स्टैंडिंग कमेटी ऑन सेफ्टी इन कोल माइंस, डीजीएमएस एवार्ड कमेटी, सीएमपीएफ बोर्ड ऑफ ट्रस्टी के अलावा जेबीसीसीआई (ज्वाइंट बाइपर्टाइट कमेटी ऑफ कोल इंडस्ट्रीज) से फिलहाल इंटक बाहर है. कोल इंडिया की विभिन्न अनुषंगी कंपनियों की कमेटी जेसीएसी, सेफ्टी बोर्ड, वेलफेयर व बेनीभोलेंट कमेटी के अलावा एरिया स्तर पर एसीसी, वेलफेयर, सेफ्टी कमेटी तथा परियोजना स्तर पर पीसीसी, वेलफेयर, सेफ्टी कमेटी की बैठक में भी इंटक बाहर है.

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