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युवाओं में बढ़ रही पेशाब के रास्ते में सिकुड़न की समस्या
धनबाद : पेशाब रुक-रुक कर होना, बार-बार होना, पेशाब कंट्रोल नहीं होना व पेशाब में ब्लड आना आदि बीमारियों से ग्रसित दर्जनों मरीज शुक्रवार को प्रभात खबर व एशियन द्वारिका दास जालान सुपर स्पेशियालिटी अस्पताल की ओर एशियन अस्पताल परिसर में आयोजित ‘कॉफी विथ डॉक्टर‘ कार्यक्रम में आये और यूरोलॉजिस्ट डॉ गौरव प्रकाश से चिकित्सा […]
धनबाद : पेशाब रुक-रुक कर होना, बार-बार होना, पेशाब कंट्रोल नहीं होना व पेशाब में ब्लड आना आदि बीमारियों से ग्रसित दर्जनों मरीज शुक्रवार को प्रभात खबर व एशियन द्वारिका दास जालान सुपर स्पेशियालिटी अस्पताल की ओर एशियन अस्पताल परिसर में आयोजित ‘कॉफी विथ डॉक्टर‘ कार्यक्रम में आये और यूरोलॉजिस्ट डॉ गौरव प्रकाश से चिकित्सा सलाह ली.
डॉ प्रकाश ने कहा कि कोयलांचल में पेशाब के रास्ते में सिकुड़न के ज्यादा मरीज आ रहे हैं. युवाओं में भी यह बीमारी देखी जा रही है. पेशाब रुक-रुक कर और बार-बार होने लगे तो तुरंत डॉक्टर को दिखायें. अगर पेशाब में ब्लड आ रहा है तो पेशाब की थैली में कैंसर की संभावना होती है. इसके लिए अल्ट्रासाउंड, यूरो फ्लोमैट्री व पीएसए की टेस्ट से बीमारी का पता चल जाता है. एशियन जालान में सभी टेस्ट होते हैं. समय पर इलाज से बीमारी ठीक हो जाती है. कार्यक्रम में शाम चार से लेकर छह बजे तक दर्जनों मरीजों ने जांच करायी और चिकित्सीय सलाह ली.
50 साल के बाद बढ़ने लगता है प्रोस्टेट : डॉ प्रकाश ने कहा कि 50 साल की उम्र के बाद प्रोस्टेट बढ़ने लगता है. सामान्यत: 18 ग्राम का प्रोस्टेट होता है. पेशाब रुक-रुक कर होना, पेशाब बार-बार होना, पेशाब कंट्रोल नहीं होना जैसे लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर से चिकित्सीय परामर्श लेना चाहिए.
किस बीमारी के लिए कौन सी जांच : अल्ट्रा साउंड में ही प्रोस्टेट का पता चल जाता है. प्रोस्टेट कितना बढ़ा है, यह अल्ट्रासाउंड टेस्ट में इंगित हो जाता है. यूरो फ्लोमैट्री मीटर से पेशाब की धार का पता चलता है. पीएसए टेस्ट से पता चलता है कि मरीज का प्रोस्टेट बढ़ा है या नहीं.
स्टोन होने पर पेशाब में ब्लड : प्रोस्टेट व स्टोन दोनों ही बीमारी में एक ही सिम्टम होता है. स्टोन में दर्द होता है और पेशाब में ब्लड आता है.
महिलाओं में नहीं होता प्रोस्टेट : डॉ प्रकाश ने कहा कि महिलाओं में प्रोस्टेट नहीं होता है. महिलाओं में यूट्रस होता है. हालांकि महिलाओं में इंफेक्शन का खतरा अधिक होता है. टॉयलेट जाने के पहले फ्लशर चलायें और टॉयलेट करने के बाद भी फ्लशर चलाना चाहिए.
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