31 मार्च को बैंक मोड़ चेंबर का कार्यकाल पूरा
सुरेंद्र अरोड़ा व प्रभात सुरोलिया का टर्म पूरा, एक टर्म चुनाव नहीं लड़ेंगे अरोड़ा, प्रभात करेंगे अध्यक्ष पद पर दावेदारी
धनबाद : बैंक मोड़ चेंबर के चुनाव को लेकर बिसात बिछ गयी है. शह-मात का खेल शुरू होना है. 31 मार्च को बैंक मोड़ चेंबर की कार्यकारिणी का टर्म पूरा हो रहा है. इस बार ताज किसके सिर पर होगा, इसे लेकर कयास लगाये जाने लगे हैं. बैंक मोड़ क्षेत्र में लगभग छह सौ छोटे-बड़े प्रतिष्ठान हैं. प्रत्येक दो साल पर नये पदाधिकारी का चयन होता है.
एक पद पर चार साल से अधिक नहीं रह सकते : बैंक मोड़ चेंबर के नये बॉयलॉज के मुताबिक कोई भी पदाधिकारी दो टर्म यानी चार साल से अधिक एक पद पर नहीं रह सकता है. इस हिसाब से सुरेंद्र अरोड़ा का अध्यक्ष पद का टर्म पूरा हो चुका है. अगले टर्म के लिए वह दावेदारी नहीं कर सकते हैं.
प्रभात सुरोलिया का सचिव पद पर टर्म पूरा हो चुका है. वे अध्यक्ष पद पर दावेदारी कर सकते हैं. अध्यक्ष पद के लिए चेतन गोयनका, ओम अग्रवाल, संजय मोर व ललित जगनानी के नाम चर्चा में है. चुनाव की घोषणा के बाद कुछ और दावेदार आ सकते हैं. सचिव पद पर प्रमोद गोयल, सुरेश अग्रवाल व लोकेश अग्रवाल के नाम चर्चा में है. हालांकि ललित जगनानी से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि कुछ लोग मुझे अध्यक्ष पद पर प्रमोट करना चाहते हैं, लेकिन अभी मैं चुनाव में आना नहीं चाहता हूं.
आजीवन कोषाध्यक्ष को अध्यक्ष की बागडोर सौंपने की तैयारी : आजीवन कोषाध्यक्ष रहे एसके चक्रवर्ती को अध्यक्ष बनाने की तैयारी चल रही है. चेंबर का एक गुट एसके चक्रवर्ती को प्रोमोट करने में लगा है. लेकिन दूसरा गुट किसी मजबूत दावेदार को ही बैंक मोड़ चेंबर की कमान सौंपने की कोशिश में है. चुनाव की तिथि की घोषणा के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पायेगी.
38 साल पहले रखी गयी चेंबर की नींव : 38 साल पहले बैंक मोड़ चेंबर की नींव रखी गयी थी. यहां असामाजिक तत्वों व रंगदारी प्रथा का बोलबाला था. रंगदारी से त्रस्त व्यवसायियों ने 1981 में बैंक मोड़ चेंबर का गठन किया. चेंबर के पहले अध्यक्ष मणिक भाई उदानी और सचिव दुलाल बसु बने. वर्ष 84 के बाद बीपी सिंह उर्फ मास्टर साहब को सचिव की बागडोर सौंपी गयी. इसके बाद वे आजीवन सचिव रहे.
पद नहीं संगठन बड़ा होता है
पद नहीं, संगठन बड़ा होता है. लगातार 25 साल तक चेंबर की सेवा की. अन्य संस्थाओं में देखा जाता है कि अध्यक्ष व सचिव पद में फेरबदल होती है. यही नहीं व्यक्ति विशेष के लिए संविधान में परिवर्तन किया जाता है. संस्था के उज्ज्वल भविष्य के लिए दोनों बातें ठीक नहीं है. अगर व्यक्ति विशेष के लिए संविधान में परिवर्तन होता है तो वह संस्था आगे नहीं बढ़ती है. पद पर रहें या नहीं रहें व्यवसायियों के हर सुख-दुख में उनके साथ खड़ा रहूंगा.
सुरेंद्र अरोड़ा, अध्यक्ष बैंक मोड़ चेंबर
बैंक मोड़ के व्यवसायियों ने सचिव की बागडोर सौंपी. सचिव पद की गरिमा व प्रतिष्ठा को पूरी ईमानदारी के साथ निभाया. व्यवसायियों के सुख-दुख में हमेशा खड़ा रहा. बैंक मोड़ चेंबर के आंदोलन को गति दी. अध्यक्ष की बागडोर संभाल कर व्यवसायियों की आगे भी सेवा करना चाहता हूं. सचिव पद का टर्म पूरा हो चुका है. लिहाजा अध्यक्ष पद पर दावेदारी करूंगा
प्रभात सुरोलिया, सचिव बैंक मोड़ चेंबर