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ए टू जेड पर 1.09 करोड़ का दावा ठोका

नगर निगम. 31 जनवरी को कोर्ट में हुई सुनवाई, अब अप्रैल में होगा विचार नगर निगम व ए टू जेड का विवाद गहराता जा रहा है. 31 जनवरी 2018 को नगर निगम ने ए टू जेड पर 1.09 करोड़ का दावा ठोका है. निगम ने कोर्ट में तर्क दिया है कि निगम के 4.70 करोड़ […]

नगर निगम. 31 जनवरी को कोर्ट में हुई सुनवाई, अब अप्रैल में होगा विचार

नगर निगम व ए टू जेड का विवाद गहराता जा रहा है. 31 जनवरी 2018 को नगर निगम ने ए टू जेड पर 1.09 करोड़ का दावा ठोका है. निगम ने कोर्ट में तर्क दिया है कि निगम के 4.70 करोड़ की राशि से ए टू जेड ने टिपर खरीदे.
धनबाद : नगर निगम व ए टू जेड के विवाद में निगम ने कोर्ट में तर्क दिया है कि निगम के 4.70 करोड़ की राशि से ए टू जेड ने टिपर खरीदे. दिसंबर 2014 में ए टू जेड ने काम बंद कर दिया और कोर्ट चला गया. पिछले चार साल से गाड़ी खड़ी की खड़ी रह गयी. सभी गाड़ियों को सड़क पर उतारने में लगभग 1.09 करोड़ की राशि खर्च होगी. ए टू जेड राशि दे ताकि गाड़ी की मरम्मत कर सड़कों पर उतारा जा सके. हालांकि सब-आर्बिटेटर अनिल कुमार के अनुपस्थित रहने के कारण मामले पर सुनवाई नहीं हो सकी. अप्रैल में मामले पर सुनवाई होगी. हाइकोर्ट ने रिटायर्ड जज यूपी सिंह को आर्बिटेटर नियुक्त किया है. ए टू जेड की ओर से को-आर्बिटेटर तिलक राज अरोड़ा व निगम की ओर से को-आर्बिटेटर वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार हैं.
निगम व ए टू जेड पहले भी ठोक चुके हैं दावा : नगर निगम व ए टू जेड पहले भी दावा ठोक चुके हैं. ए टू जेड ने नगर निगम पर 63 करोड़ का दावा किया था. इसके खिलाफ नगर निगम ने 177 करोड़ का दावा किया. यह मामला भी आर्बिटेशन में चल रहा है. हालांकि उपरोक्त मामले से गाड़ी का मामला अलग है.
एक टिपर की मरम्मत व इंश्योरेंस पर डेढ़ लाख खर्च
पिछले दिनों नगर आयुक्त के निर्देश पर टिपरों का एमवीआइ कराया गया. गाड़ी की मरम्मत पर लगभग 86 लाख, इंश्योरेंस पर लगभग 11 लाख व रोड टैक्स पर लगभग 11.50 लाख रुपये खर्च होंगे.
(नोट : एक टिपर की खरीद पर 4.50 लाख खर्च हुए. मुश्किल से टिपर यहां एक साल दो माह चला. इसके बाद बस अड्डा में टिपर खड़ा है.)
मुख्य बिंदु
फरवरी 2012 में ए टू जेड व निगम के बीच सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का करार हुआ
2 अक्तूबर 2012 से ए टू जेड ने वार्ड में सफाई का काम शुरू किया
दिसंबर 2013 में काम बंद कर दिया
काम बंद करने के आलोक में नगर निगम ने ए टू जेड की सिक्युरिटी मनी 2.25 करोड़ रुपया जब्त कर लिया
2014 में नगर निगम के खिलाफ ए टू जेड ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
हाइकोर्ट ने आर्बिटेशन में जाने का निर्देश दिया.
2015 से मामला आर्बिटेशन में चल रहा है.

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