देते भी हैं तो बहुत विलंब से. कई मामलों में कह दिया जाता है कि कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है. जबकि राज्य सरकार ने तय किया है कि वैसे आंदोलनकारी जो अलग राज्य के मुद्दे पर छह माह तक जेल में रहे हों को तीन हजार मासिक तथा छह माह से अधिक समय तक जेल में रहने वाले को पांच हजार रुपये प्रति माह पेंशन देगी. बहुत सारे आंदोलनकारी को पेंशन मिल भी रही है. जो आंदोलनकारी जेल नहीं गये हैं उन्हें केवल ताम्रपत्र देकर सम्मानित किया जायेगा. जेलों से भी आंदोलकारियों को सर्टिफिकेट देने में आनाकानी की जा रही है.
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आंदोलनकारियों की पहचान में सहयोग नहीं कर रहे हैं सूबे के अधिकारी : समिति
धनबाद: झारखंड, वनांचल आंदोलन चिह्नितीकरण आयोग के सदस्य डॉ देव शरण भगत एवं सुनील फकीरा कच्छप ने कहा है कि आंदोलनकारियों की पहचान में राज्य के प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारी सहयोग नहीं कर रहे हैं.सोमवार को पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अतिथि गृह में एक समीक्षा बैठक के बाद सदस्यों ने कहा कि आंदोलनाकरियों के […]
धनबाद: झारखंड, वनांचल आंदोलन चिह्नितीकरण आयोग के सदस्य डॉ देव शरण भगत एवं सुनील फकीरा कच्छप ने कहा है कि आंदोलनकारियों की पहचान में राज्य के प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारी सहयोग नहीं कर रहे हैं.सोमवार को पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अतिथि गृह में एक समीक्षा बैठक के बाद सदस्यों ने कहा कि आंदोलनाकरियों के संबंध में अधिकारी सही जानकारी नहीं दे रहे हैं.
दावों की हुई जांच : आयोग के सदस्यों ने आज कई आंदोलनकारियों के दावों की जांच की. सिंदरी विधायक फूलचंद मंडल, पूर्व मंत्री मथुरा प्रसाद महतो, झामुमो जिलाध्यक्ष रमेश टुडू, आजसू पार्टी के जिलाध्यक्ष मंटू महतो, भाजपा नेता जगत महतो, मोहन कुंभकार, दयाल महतो, रेंगु साव सहित कई नेता आयोग के समक्ष पहुंचे. सभी ने कहा कि बहुत सारे सच्चे आंदोलनकारियों को पेंशन, सम्मान नहीं मिल पाया.
चार हजार से अधिक को पेंशन : डॉ भगत ने बताया कि पूरे राज्य में चार हजार से अधिक आंदोलनकारियों की पहचान हो चुकी है. इन्हें पेंशन दिया जा रहा है. आयोग का कार्यकाल जनवरी 2018 तक है. कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा आंदोलनकारियों की पहचान हो सके. ताकि राज्य सरकार को उनके नामों की अनुशंसा की जा सके. कहा कि जेपी आंदोलन में जेल जाने वाले आंदोलनकारियों की भी पहचान की जा रही है. उन्हें भी पेंशन व सम्मान मिलेगा.
जगत ने कहा- सही आंदोलनकारियों की हो पहचान : भाजपा नेता जगत महतो ने समिति को ज्ञापन देते हुए कहा कि सही आंदोलनकारियों की पहचान होनी चाहिए. वे खुद कई बार अलग राज्य के आंदोलन में शामिल हुए. लेकिन उन्हें अब तक सम्मान नहीं मिला. दावा किया कांड संख्या 65-1983 में वे गिरफ्तार हो कर जेल भी गये थे. निषेधाज्ञा का उल्लंघन कर धनबाद बीडीओ कार्यालय का घेराव किये थे.
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