28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पिट वाटर को ड्रिंकिंग वाटर बनाने में गंभीर नहीं बीसीसीएल

धनबाद: पिट वाटर को ड्रिंकिंग वाटर बनाने के लिए एक तरफ एमओयू हो रहा है, तो दूसरी तरफ धरातल पर इसके क्रियान्वयन की प्रक्रिया अत्यंत धीमी है. एक वर्ष में इसके लिए प्लांट लगाने के प्रस्ताव पर भी बीसीसीएल व कोल इंडिया प्रबंधन कोई निर्णय तक नहीं ले पाया है. क्या है मामला : कोयलांचल […]

धनबाद: पिट वाटर को ड्रिंकिंग वाटर बनाने के लिए एक तरफ एमओयू हो रहा है, तो दूसरी तरफ धरातल पर इसके क्रियान्वयन की प्रक्रिया अत्यंत धीमी है. एक वर्ष में इसके लिए प्लांट लगाने के प्रस्ताव पर भी बीसीसीएल व कोल इंडिया प्रबंधन कोई निर्णय तक नहीं ले पाया है.
क्या है मामला : कोयलांचल में जल संकट के निदान के लिए खदानों के बरबाद हो रहे पानी को शुद्ध कर पेयजल बनाने की कवायद एक दशक पुरानी है. वर्ष 2007 में केंद्रीय खनन ईंधन अनुसंधान संस्थान (सिंफर) ने कवायद शुरू की थी. लगभग पांच वर्ष तक शोध के बाद बीसीसीएल के पुटकी बलिहारी एरिया जीएम कार्यालय में एक प्लांट लगाया गया. इस प्लांट में 40 हजार लीटर पीट वाटर को शुद्ध कर पेयजल लायक बनाने की क्षमता है. वर्ष 2012 से 2014 तक इस प्लांट को सिंफर ने चलाया. इसके बाद इसे बीसीसीएल को सौंप दिया गया. इसके बाद खदानों के पानी को बड़े पैमाने पर ड्रिंकिंग वाटर बनाने के लिए कई स्तर पर बातें हुईं. वर्ष 2016 में कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने भी धनबाद दौरे के दौरान इसके लिए कई घोषणाएं की. तीन दिन पूर्व झारखंड सरकार एवं कोल इंडिया के बीच एमओयू भी हुआ.
क्या है हकीकत : तत्कालीन कोयला सचिव अनिल स्वरूप के निर्देश पर एक वर्ष पहले बीसीसीएल ने पिट वाटर को ड्रिंकिंग वाटर बनाने के लिए सिंफर से दस स्थानों पर प्लांट लगाने का आग्रह किया था. सिंफर की टीम ने पहले फेज में खरखरी, मुनीडीह एवं जियलगोरा में प्लांट लगाने के लिए बीसीसीएल को प्रस्ताव दिया था. तीनों प्लांट की स्थापना पर लगभग 39 करोड़ का डीपीआर बना कर दिया गया था. तीनों ही प्लांटों की क्षमता 50-50 हजार लीटर पानी शुद्ध करने की क्षमता तय हुई थी. लेकिन इस प्रस्ताव पर बीसीसीएल की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं हुई. बाद में सिंफर के निदेशक डॉ पीके सिंह ने कोल इंडिया को भी प्रस्ताव भेजा. इसमें बीसीसीएल में तीन स्थानों के अलावा एमसीएल में छह स्थानों पर प्लांट लगाने का प्रस्ताव था. लेकिन कोल इंडिया की तरफ से भी कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं हुई.
चार लाख की आबादी को मिलता पानी : खरखरी, मुनीडीह एवं जियलगोरा में अगर प्लांट लग जाता तो इन क्षेत्रों में रहने वाले लगभग चार लाख की आबादी को पानी मिल जाता. सिंफर द्वारा पीबी एरिया में लगाये गये प्लांट को देखने एक बार मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल भी गये थे. उन्होंने सिंफर के वैज्ञानिकों के साथ इस मुद्दे पर बैठक कर विस्तार से जानकारी भी ली थी. साथ ही बीसीसीएल को भी इस योजना में तेजी लाने के लिए कहा था. लेकिन, सारी बातें केवल घोषणाओं तक ही सिमट कर रह गयीं.
खेती के लिए भी पानी का शुद्धीकरण जरूरी
पिट वाटर को बिना शुद्ध किये हुए सीधे खेतों में भी उपयोग नहीं किया जा सकता. वैज्ञानिकों के अनुसार कोयला खदानों की पानी के सीधे प्रयोग से मिट्टी की क्षमता कम होती है. ज्यादा उपयोग से मिट्टी के टांड़ बनने की भी आशंका रहती है. हालांकि खेती लायक पानी शुद्ध करने में ज्यादा प्रक्रिया अपनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
आरओ प्लांट का मेंटेनेंस महंगा
पिट वाटर के शुद्धिकरण के लिए अगर नगर निगम आरओ प्लांट बैठाता है तो इसका मेंटनेंस आसान नहीं होगा. इसमें पानी की बरबादी भी काफी होती है. साथ ही बड़े-बड़े आरओ प्लांट लगाने पड़ेंगे, जिसके रख-रखाव पर भी खासी रकम खर्च करनी होगी.
एक वर्ष पहले ही दिया गया था प्रस्ताव
सिंफर की तरफ से कोल इंडिया एवं बीसीसीएल प्रबंधन को लगभग एक वर्ष पहले ही प्रस्ताव दिया गया था. अब तक कोई जवाब नहीं मिला है. प्रोजेक्ट स्वीकृत होने व प्लांट लगने के बाद ही सिंफर के वैज्ञानिकों की भूमिका शुरू होगी.
डॉ पीके सिंह, निदेशक, सिंफर.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें