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स्पीड ब्रेकर पर संभल कर, नहीं तो मिलेगा दर्द
धनबाद : सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने और वाहनों की रफ्तार को काबू में करने के लिए शहर में जगह-जगह स्पीड ब्रेकर बनाये गये हैं. लेकिन अाम तौर पर देखा जाता है कि वाहन चालक यहां भी अपने वाहन की रफ्तार कम नहीं करना चाहते. खासकर ऑटो चालक और बाइकर्स. नतीजतन उन्हें स्पांडिलाइटिस, गर्दन से […]
धनबाद : सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने और वाहनों की रफ्तार को काबू में करने के लिए शहर में जगह-जगह स्पीड ब्रेकर बनाये गये हैं. लेकिन अाम तौर पर देखा जाता है कि वाहन चालक यहां भी अपने वाहन की रफ्तार कम नहीं करना चाहते. खासकर ऑटो चालक और बाइकर्स. नतीजतन उन्हें स्पांडिलाइटिस, गर्दन से लेकर कमर की हड्डी तक के दर्द का सामना करना पड़ता है.
सड़क सुरक्षा को लेकर बनाये गये हैं ब्रेकर : राष्ट्रीय राज मार्ग प्राधिकरण की ओर से देश भर में वैसी जगहों पर ब्रेकर बनाये जा रहे हैं, जहां दुर्घटनाओं की आशंका ज्यादा होती है. शहर में स्टील गेट, एलसी रोड (निरीक्षण भवन के पास), महिला कॉलेज के पास, केंदुआ पुल के पास ब्रेकर बनाये गये हैं. एनएचएआइ के प्रोजेक्ट डायरेक्टर सत्येंद्र कुमार कहते हैं. विभागीय आदेश पर ब्रेकर लगाये गये हैं. वाहन चालकों की आम शिकायत है कि ब्रेकर में जर्किंग से वाहन अक्सर वाहन खराब हो जाते हैं.
स्पांडिलाइटिस लक्षण
गर्दन से दर्द शुरू होना, इसके बाद कंधों व बांह तक पहुंच जाना.
गर्दन में जकड़न हो जाना.
कंधे, बांह व पैरो में झनझनाहट रहना.
कमर में अधिक दर्द होना.
सिरदर्द रहना, खासकर सिर के पिछले भाग में दर्द होना.
एहतियात
वाहनों का ज्यादा प्रयोग नहीं करें.
ब्रेकर को तेजी से पार नहीं करें.
एक ही जगह पर ज्यादा देर बैठ कर काम नहीं करें.
टीबी, लैपटॉप, मोबाइल ज्यादा देर तक न देखें, न चलायें.
संतुलित आहार लें.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
ऐसे ब्रेकर पर कोशिश करनी चाहिए कि धीरे चलें. शरीर में कमर के पास भी शॉकर होता है. यह शॉकर कमर के डिस्क के पास होता है. तेजी से ब्रेकर पार करने से यह शॉकर भी प्रभावित होता है. इससे कमर में असहनीय पीड़ा हो जाती है. स्पांडिलाइटिस के मरीजों को काफी परेशानी होती है.
डॉ कैलाश प्रसाद, हड्डी व नस रोग विशेषज्ञ
अस्टियो ऑर्थराइटिस से पीड़ित कई महिलाएं कमर दर्द की शिकायत लेकर आती हैं, जांच के बाद पता चलता है कि उनकी कमर की हड्डी टूट गयी है. महिलाएं बताती हैं कि ब्रेकर के पास गुजरने से यह दर्द बढ़ा है. दरअसल, टेंपो या रिक्शा आदि कई वाहनों में अच्छे शॉकर नहीं होने के कारण ब्रेकर पर काफी देर तक जर्क करना पड़ता है. इससे कमर व गर्दन का दर्द बढ़ जाता है.
डॉ संजय चौधरी, हड्डी व नस रोग विशेषज्ञ
तेजी से वाहन नहीं चलायें : सत्येंद कुमार
एनएचएआइ के प्रोजेक्ट डायरेक्टर सत्येंद्र कुमार कहते हैं कि जिस स्थान पर ज्यादा दुर्घटनाएं होती थी या ऐसी जगह यहां इसकी संभावना ज्यादा थी, उसे ब्लैक स्पॉट कहा जाता है. ऐसे ब्लैक स्पॉट पर ब्रेकर बनाया जाता है, जिससे दुर्घटना को कम किया जा सकता है. आगे दुर्घटना को शून्य करना सरकार का मुख्य लक्ष्य है. लोगों से अपील है कि वाहन तेजी से नहीं चलायें. यह ब्रेकर आपकी सुरक्षा के लिए ही है.
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