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बाजार में 4.5 करोड़ के सिक्के नहीं लिया तो हो सकती है जेल
धनबाद: पांच सौ व हजार के नोट बंद होने के बाद जहां बड़े नाेट काे बदलने में लाेग परेशान हाे रहे थे, वही स्थिति इन दिनाें सिक्कों काे लेकर हाे रही है. नोटबंदी के दौरान बाजार में साढ़े चार करोड़ से अधिक मूल्य का सिक्का बैंकों से निकला है. स्थिति यह है कि बैंकाें से […]
धनबाद: पांच सौ व हजार के नोट बंद होने के बाद जहां बड़े नाेट काे बदलने में लाेग परेशान हाे रहे थे, वही स्थिति इन दिनाें सिक्कों काे लेकर हाे रही है. नोटबंदी के दौरान बाजार में साढ़े चार करोड़ से अधिक मूल्य का सिक्का बैंकों से निकला है. स्थिति यह है कि बैंकाें से लेकर बाजार तक सिक्काें की भरमार है. 1-2-5 व 10 के सिक्के लेने से दुकानदार इनकार कर कर रहे हैं. बैंकर्स भी सिक्का लेने में आना-कानी कर रहे हैं. सिक्कों को लेकर आये दिन ग्राहक व दुकानदार के बीच झड़प भी हो रही है. न तो प्रशासन का इस पर ध्यान है और न ही बैंक प्रबंधन को. सिक्का के चक्कर में ग्राहक पिस रहे हैं.
नोटबंदी के दौरान सिक्के मिले थे बैंक से : नोटबंदी के दौरान नोट एक्सचेंज के बदले बैंकों में सिक्कों से भरी थैलियां दी गयी थी. उस समय लोगों ने बिना विरोध के सिक्के ले लिये. लेकिन अब यह सिक्का उनके लिए परेशानी का सबक बन गया है. न तो दुकानदार सिक्का लेना चाहते हैं और न ही बैंक.
हो सकती है एफआइआर : बैंकाें ने 1-2-5 व 10 रुपयों के सिक्कों को चलन से बाहर नहीं किया है. अगर कोई दुकानदार सिक्का लेने से मना करता है, तो उसे जेल हो सकती है. एफआइआर दर्ज होने पर पुलिस ऐसे लोगों के खिलाफ चालान करके न्यायालय से सजा भी दिला सकती है.
बैंकों को लेना है सिक्का
बैंकों को सिक्का लेना है. इस बाबत आरबीआइ के उप प्रबंधक शिलादित्या विश्वास ने सभी बैंकों को आवश्यक निर्देश दिये हैं. बैंकों को भेजे गये पत्र में स्पष्ट है कि एक हजार मूल्य के सिक्के बैंकों को स्वीकार करना है. एक व्यक्ति से एक दिन में एक हजार के मूल्य के सिक्के स्वीकार किये जायेंगे. एक रुपये से कम के सिक्के से लेकर दस रुपये मूल्य तक के सिक्के स्वीकार करने का निर्देश दिया गया है. अगर बैंक सिक्के लेना अस्वीकार करते हैं तो बैंकिंग लोकपाल योजना 2006 (एक जुलाई, 2017 तक संशोधित) के पैरा बी (1)(सी) के प्रावधानों के तहत कार्यवाही के भागी होंगे
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