यहां हड्डी व नस रोग विशेषज्ञ डॉ युवराज के नेतृत्व में कंप्यूटर नेविगेशन तकनीक से मेडिकल टीम ने दोनों घुटने का प्रत्यारोपण (नी ट्रांसप्लांट) किया. शाम में दोनों पैरों पर मरीज को खड़ा किया गया. दूसरे दिन उसे चलाया गया. इसके बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी. टीम में एशियन दिल्ली के डॉ युवराज, डॉ राजेश, धनबाद के डॉ मनीष आदि शामिल थे. डॉ युवराज विशेष केस के लिए दिल्ली से धनबाद आते हैं.
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तीन घंटे में नी ट्रांसप्लांट, दूसरे दिन चलने लगी मरीज
धनबाद : अंबिकापुरम (धैया) की रहने वाली विनय देवी (60) छह वर्षों से घुटने की समस्या से पीड़ित थी. इस दौरान कई बड़े अस्पताल में इलाज कराया, डॉक्टरों की लिखी दवाइयां खायी, लेकिन कोई विशेष फायदा नहीं हुआ. इसके बाद बरटांड़ स्थित एशियन द्वारिका दास जालान सुपर स्पेशियालिटी अस्पताल पहुंची. यहां हड्डी व नस रोग […]
धनबाद : अंबिकापुरम (धैया) की रहने वाली विनय देवी (60) छह वर्षों से घुटने की समस्या से पीड़ित थी. इस दौरान कई बड़े अस्पताल में इलाज कराया, डॉक्टरों की लिखी दवाइयां खायी, लेकिन कोई विशेष फायदा नहीं हुआ. इसके बाद बरटांड़ स्थित एशियन द्वारिका दास जालान सुपर स्पेशियालिटी अस्पताल पहुंची.
उम्र के साथ घिस जाता है कार्टिलेज
डॉ युवराज ने बताया कि घुटने में दो हड्डियों के बीच कार्टिलेज होता है, जो मुड़ने व चलने में सहायता प्रदान करता है. लेकिन उम्र बढ़ने के साथ-साथ कार्टिलेज की परत खत्म होने लगती है. इस अवस्था में घुटना ज्यादा नहीं मुड़ता है. दर्द व तकलीफ बढ़ने लगती है. एस समय ऐसा आता है, जब कार्टिलेज पूरी तरह से खत्म हो जाता है. तब मरीज का उठना-बैठना बंद हो जाता है. ऐसे मरीजों के लिए कंप्यूटर नेविगेशन तकनीक वरदान साबित होता है.
न दर्द, न अधिक रक्तस्राव
डॉ युवराज ने बताया कि मरीज के दोनों घुटने की सर्जरी पेनलेस कंप्यूटर नेविगेशन तकनीक से की गयी है. यह तकनीक बेहतर परिणाम देती है एवं इसका इंप्लांट लंबे समय तक चलता है. रक्त का रिसाव बहुत कम होता है. फिलहाल यह सेवा बड़े अस्पतालों में ही मिल पाती है. धनबाद जैसे शहर में यह सेवा शुरू होने से यहां के लोगों को लाभ मिलेगा.
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