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332 इंदिरा आवास पांच वर्ष से अधूरे

मोहनपुर: पांच वर्षों से मोहनपुर प्रखंड में 332 इंदिरा आवास अधूरा है. प्रखंडस्तर पर इंदिरा आवास की केवल समीक्षा होती है, लेकिन योजनाएं पूर्ण करने की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाया गया है. अधिकांश इंदिरा आवास लाभुकों को उनके बैंक खाते में राशि ट्रांसफर कर दिया गया है, राशि की निकासी भी हुई, लेकिन […]

मोहनपुर: पांच वर्षों से मोहनपुर प्रखंड में 332 इंदिरा आवास अधूरा है. प्रखंडस्तर पर इंदिरा आवास की केवल समीक्षा होती है, लेकिन योजनाएं पूर्ण करने की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाया गया है. अधिकांश इंदिरा आवास लाभुकों को उनके बैंक खाते में राशि ट्रांसफर कर दिया गया है, राशि की निकासी भी हुई, लेकिन योजनाएं लटकी रह गयी.

कई जगह तो बिचौलियों की वजह से इंदिरा आवास पूरा नहीं हुआ. मोहनपुर प्रखंड अंतर्गत घोंघा पंचायत के नौडिहा के इंदिरा आवास लाभुक अकला किस्कू ने बताया कि विभाग की लापरवाही के कारण उनके गांव में दर्जन भर गरीबों का इंदिरा अवास अधूरा रह गया है. अकला ने बताया कि पूर्व में इंदिरा आवास की प्राक्कलन राशि 35 हजार रुपये थी, इसमें 17 हजार रूपये प्रथम किस्त के तौर पर भुगतान किया गया तो लिलटंन तक कार्य हुआ, शेष कार्य दूसरी किस्त नहीं मिलने की वजह से अभी तक है.

पांच वर्षों में पूरे नहीं हुए चार हजार इंदिरा आवास
इंदिरा आवास योजना की हालत देवघर जिले में काफी खराब है. डीआरडीए द्वारा सरकार को भेजी गयी रिपोर्ट के अनुसार देवघर जिले में चार हजार इंदिरा आवास योजना लंबित है. यह इंदिरा अावास पांच वर्ष पुराना है. स्थानीय वरीय पदाधिकारियों समेत मुख्य सचिव तक द्वारा कई निर्देश दिये जाने के बावजूद पंचायत सचिव से लेकर प्रखंड के पदाधिकारी इंदिरा अावास योजना को पूर्ण कराने में सफल नहीं हो पाये हैं. विभाग लाभुकों के बैंक खाते में पैसे डालकर बेफिक्र हो जाते हैं, सही मॉनिटरिंग के अभाव में योजनाएं पूर्ण नहीं हो पाती है. कई गांवों में बिचौलियों के चुंगल में फंसने की वजह से लाभुकों का पैसा भी डकार लिया जाता है. इस कारण इंदिरा आवास लंबित पड़ जाता है व गरीब लाभुकों पर सर्टिफिकेट केस तक हो जाता है. इस बार भी पदाधिकारियों द्वारा इंदिरा आवास लाभुकों को कार्य पूर्ण करने का नोटिस जारी किया गया है. काम पूरा नहीं होने पर लाभुकों को सर्टिफिकेट केस तक चेतावनी दी गयी है. अधिकारियों की मॉनिटरिंग के अभाव में यही स्थिति पीएम आवास में रहा तो इनके लाभुकों को भी कार्य नहीं पूर्ण करने पर सर्टिफिकेट केस झेलना पड़ सकता है.

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