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सांसद ने रखी हॉस्पीटल की नींव

हंसडीहा/दुमका : भारी विरोध-हंगामे व नोक-झोंक के बीच शनिवार को सांसद निशिकांत दूबे ने नारियल फोड़ा और हंसडीहा में 300 शय्यावाले हॉस्पीटल की नींव रखी. इस मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पीटल की नींव रखने के लिए भारी मशक्कत हुई. विरोधियों ने ईंट-पत्थर चलाये. धक्का-मुक्की व नारेबाजी भी की. ग्रामीणों का दावा : इस हॉस्पीटल के लिए प्रशासन […]

हंसडीहा/दुमका : भारी विरोध-हंगामे व नोक-झोंक के बीच शनिवार को सांसद निशिकांत दूबे ने नारियल फोड़ा और हंसडीहा में 300 शय्यावाले हॉस्पीटल की नींव रखी. इस मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पीटल की नींव रखने के लिए भारी मशक्कत हुई. विरोधियों ने ईंट-पत्थर चलाये. धक्का-मुक्की व नारेबाजी भी की.

ग्रामीणों का दावा : इस हॉस्पीटल के लिए प्रशासन ने जिस जमीन को उपलब्ध कराया है, उसपर कुछ लोग दावा कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह जमीन उनकी है. पिछले कई पीढ़ी से वे उसमें जोत आबाद कर रहे हैं. लिहाजा वे किसी भी सूरत में इस जमीन पर ऐसा अस्पताल नहीं बनने देंगे, जिसका संचालन निजी कंपनी करेगी.

85 करोड़ रुपये का है प्रोजेक्ट: सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि विश्वस्तरीय सुविधायुक्त यह मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पीटल का संचालन एलकेमिस्ट कंपनी करेगी. हंसडीहा जैसे महत्वपूर्ण जगह पर इस अस्पताल के बनने से दुमका, देवघर व गोड्डा जिले लोगों का लाभ मिलेगा. पूरे प्रोजेक्ट पर 85 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इलाके के लोगों को दिल्ली, कोलकाता या फिर वेल्लोर इलाज के लिए नहीं जाना पड़ेगा. 25 फीसदी गरीबों का इलाज मुफ्त होगा. इस हॉस्पीटल के लिए श्री दूबे व राज्यसभा सांसद केडी सिंह एमपी लेड फंड से कुल 12 करोड़ रुपये देंगे. मौके पर सांसद की पत्नी अन्नुकांत दूबे, सांसद प्रतिनिधि सीताराम पाठक, शांति मंडल, रविशंकर, प्रकाश यादव, पंकज झा, विनोद शर्मा, मुन्ना सिंह, अनिरूद्ध यादव, विजय कापरी, चंद्रकांत यादव आदि मौजूद थे.

क्या कहते हैं विरोध करनेवाले ग्रामीण
‘‘यह जमीन हमलोगों की है. हंडवा इस्टेट के द्वारा सरकार को इस जमीन के रैयतों की रिपोर्ट समर्पित है, जो हम सभी रैयतों के नाम पर है. सरकार के पास संबंधित रजिस्टर-2 में भी रैयतों का नाम दर्ज है. हमसबों द्वारा लगातार जमीन का खजाना दिया जा रहा है. लगभग साठ साल से हम सभी जोत आबाद कर रहे हैं.’’

लक्ष्मीनारायण चौधरी, विरोध करने वाले ग्रामीण
‘‘हॉस्पीटल के लिए जो जमीन उपलब्ध करायी गयी है,वह जमीन वन विभाग की थी. उसे कभी बंदोबस्त किया ही नहीं जा सकता है. जो लोग विरोध कर रहे हैं, उन्हें कई बार नोटिस किया गया है कि वे किये जा रहे दावा के बाबत आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करें, लेकिन अब तक उन्होंने ऐसा कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया है. ऐसे में लोगों द्वारा किया जा रहा विरोध गलत है.’’

सुलेमान मुंडरी, बीडीओ सह सीओ, सरैयाहाट प्रखंड

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