देवघर: झारखंड में बसे घटवार, घटवाल व खेतोरी समुदाय के लोगों को अनुसूचित जनजाति(एसटी) होने संबंधी मांग लंबे समय से चल रहा है, लेकिन न्याय नहीं मिला है. इन समुदायों की हकीकत मांग को पूरे दस्तावेज और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के साथ गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नयी दिल्ली के समक्ष रखा. […]
देवघर: झारखंड में बसे घटवार, घटवाल व खेतोरी समुदाय के लोगों को अनुसूचित जनजाति(एसटी) होने संबंधी मांग लंबे समय से चल रहा है, लेकिन न्याय नहीं मिला है. इन समुदायों की हकीकत मांग को पूरे दस्तावेज और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के साथ गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नयी दिल्ली के समक्ष रखा. आयोग के लॉ डिवीजन में केस नंबर 411/34/0/2015 दर्ज कर सुनवाई की गयी.
आयोग ने झारखंड सरकार को निर्देश दिया कि अविलंब घटवार, घटवाल और खेतौरी जाति को एसटी का दर्जा देने का प्रस्ताव अनुशंसा के साथ केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय को भेजें. ताकि मंत्रालय अग्रेतर कार्रवाई कर सके. आयोग ने यह भी कहा है कि प्रस्ताव तैयार करने से पहले शिकायतकर्ता की भी बात सुनी जाये. जो प्रस्ताव राज्य सरकार केंद्र को भेजेगी, उसकी कॉपी एनएचआरसी को भी भेजी जाये.
सांसद ने पूरे प्रमाण के साथ दर्ज कराया था मामला
सांसद ने एनएचआरसी में जो केस दर्ज कराया था. उसमें घटवार, घटवाल और खेतौरी जाति जो वर्षों से अपने अधिकार के लिए लड़ रही है. ये जातियां पूर्व में एसटी सूची में शामिल थी.सांसद ने कहा है कि टास्क फोर्स की रिपोर्ट में घटवाल,घटवार व खेतोरी समुदाय के एसटी होने की बात छतीसगढ़ में आयी है. लिपिकीय भूल से टास्क फोर्स की रिपोर्ट में इन जातियों के एसटी होने का उल्लेख नहीं हो पाया है.
सुनवाई के दौरान झारखंड के प्रधान सचिव (पर्सनल एडमिनिस्ट्रैटिव, रिफोर्म्स एंड राज्यसभा) उपस्थित हुए और उन्होंने सरकार की ओर से पक्ष रखा. प्रधान सचिव ने कहा कि ट्रायबल वेलफेयर रिसर्च इंस्टीट्यूट रांची से जांच प्रतिवेदन तैयार करने को कहा गया है. आयोग ने प्रधान सचिव को रिपोर्ट तैयार कर राज्य सरकार से अनुशंसा करवा केंद्र सरकार को भेजने का निर्देश दिया है. ट्रायबल मामलों के केंद्रीय मंत्रालय को राज्य सरकार उपरोक्त जातियों के एसटी होने संबंधी प्रतिवेदन भेजने का निर्देश देते हुए वाद का निष्पादन किया गया.