इससे कहीं न कहीं कच्चे बांस के सूप का पौराणिक और धार्मिक महत्व घट रहा है. इस पर्व की खासियत है कि पर्व में भगवान भाष्कर को कच्चे बांस के बने सूप भरकर अरघ दिया जाता है. यह पर्व बांस से बने सूप, टोकरी, मिट्टी के बर्तनों, गन्ने के रस, गुड़, चावल और गेहूं से बना प्रसाद, और कानों में शहद घोलते लोकगीतों के साथ जीवन में भरपूर मिठास घोलता है.
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”कांच ही बांस के बहंगिया” की परंपरा हो रही लुप्त
देवघर: कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाये…गीत सुनते ही छठि मईया का स्मरण होने लगता है. लेकिन आज के आधुनिक परिवेश में बहंगी लगभग गायब हो गयी है. छठ पर्व पर भी धीरे-धीरे आधुनिकता का रंग चढ़ने लगा है. कच्चे बांस के बने सूप का तो इस्तेमाल छठ व्रति कर रहे हैं लेकिन […]
देवघर: कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाये…गीत सुनते ही छठि मईया का स्मरण होने लगता है. लेकिन आज के आधुनिक परिवेश में बहंगी लगभग गायब हो गयी है. छठ पर्व पर भी धीरे-धीरे आधुनिकता का रंग चढ़ने लगा है. कच्चे बांस के बने सूप का तो इस्तेमाल छठ व्रति कर रहे हैं लेकिन कच्चे बांस के सूप का स्थान अब धातु से बने सूप ले रहे हैं.
बांस का है वैज्ञानिक व ज्योतिषीय महत्व : छठ पर्व की परंपरा में ही वैज्ञानिक और ज्योतिषीय महत्व भी छिपा हुआ है. षष्ठी तिथि एक विशेष खगोलीय अवसर है. जिस समय धरती के दक्षिणी गोलार्ध में सूर्य रहता है और दक्षिणायन के सूर्य की अल्ट्रावॉइलट किरणें धरती पर सामान्य से अधिक मात्रा में एकत्रित हो जाती हैं. क्योंकि इस दौरान सूर्य अपनी नीच राशि तुला में होता है. इन दूषित किरणों का सीधा प्रभाव जनसाधारण की आंखों, पेट, स्किन आदि पर पड़ता है. इस पर्व के पालन से सूर्य प्रकाश की इन पराबैंगनी किरणों से जनसाधारण को हानि न पहुंचे, इस अभिप्राय से सूर्य पूजा का गूढ़ रहस्य छिपा हुआ है. इसके साथ ही घर-परिवार की सुख- समृद्धि और आरोग्यता से भी छठ पूजा का व्रत जुड़ा हुआ है.
पवित्रता का प्रतीक है बांस : विनोद द्वारी
छठ पर्व मगध राज्य में राजा जरासंध के समय से मनाया जा रहा है. यह पवित्रता व शुद्धता का पर्व है. वर्तमान समय में इस पर्व में आधुनिकता प्रवेश कर गया है. कई बदलाव देखा जा रहा है. पूर्व में कच्चे बांस के बने सूप, डाला आदि का पूजा में उपयोग होता था. इसका काफी महत्व है. बांस के सामान पवित्रता का प्रतीक है. अब परिवर्तन का दौर देखा जा रहा है. कई छठव्रतियों को बांस की जगह पीतल, चांदी के बने सूप, डाला आदि उपयोग में लाते सहज ही देखा जा सकता है.
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