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कांवरिया बनने से मिलती है सांसारिक बाधाओं से मुक्ति
सुल्तानगंज. श्रावणी मेला में कांवरिया बनने का सौभाग्य सभी को नहीं मिलता. जो कांवरिया बन जाते हैं, उन्हें कुछ ही दिनों के लिए ही सही, सांसारिक बाधाओं से मुक्ति जरूर मिलती है. कांवरिया पथ पर सीवान के सोनू बम, रौशन बम,अरविंद बम मिलते हैं. प्रभात खबर से बातचीत में वे कहते हैं बाबाधाम के रास्ते […]
सुल्तानगंज. श्रावणी मेला में कांवरिया बनने का सौभाग्य सभी को नहीं मिलता. जो कांवरिया बन जाते हैं, उन्हें कुछ ही दिनों के लिए ही सही, सांसारिक बाधाओं से मुक्ति जरूर मिलती है.
कांवरिया पथ पर सीवान के सोनू बम, रौशन बम,अरविंद बम मिलते हैं. प्रभात खबर से बातचीत में वे कहते हैं बाबाधाम के रास्ते में कष्ट सह कर जो आनंद मिलता है, वह आनंद एसी रूम में भी नसीब नहीं है. 32 साल से देवघर जा रहे मनोज खेमका कहते हैं सात दिनों की यात्रा साल भर ऊर्जावान रखती है. बाबा के दरबार में जो सबसे बड़ी चीज मिलती है, वह है मन की शांति. बोलबम के जयघोष का फल, कांवरिया पथ पर ही देखने को मिल जाता है. कष्ट सह कर आनंद की प्राप्ति बाबा के निकट पहुंचाती है.
इस हाइटेक युग में मशीन हो चुके लोग शांति के लिए भटक रहे हैं. सुलतानगंज से देवघर कांवरिया बन कर निकल जाने से अद्भुत शांति मिलती है. नालंदा, टाटानगर, असाम, दिल्ली से कांवरियों का जत्था सुलतानगंज से लगभग नौ किमी दूर मासूमगंज के आगे मिलता है.
वे कहते हैं इस रास्ते का आनंद बाबा के ही तरह निराला है. कांवरिया बन जाने के बाद कोई भेदभाव किसी में नहीं होता. घर से दूर होने के बाद भी घर की याद नहीं आती. बस एक ही तमन्ना रहती है दिल में, बाबा का दर्शन हो जाये. बाबा का दर्शन होते ही मिल जाता है शांति का वो खजाना, जिसका शब्दों में व्याख्या नहीं किया जा सकता.
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