देवघर: सदर अस्पताल स्थित कैदी वार्ड में फिर से जमघट लगने लगी है. एक चर्चित कांड के बंदी को फिर इलाज के लिए सदर अस्पताल के कैदी वार्ड में भरती कराया गया है. यह बंदी करीब एक सप्ताह से सदर अस्पताल के कैदी वार्ड में हैं, तभी से कैदी वार्ड की चहल-पहल बढ़ गयी है. दिन में अनजान चेहरे का आना-जाना लगा रहता है. वहां सुरक्षा में कार्यरत जवान दिन भर कैदी वार्ड के ताला को खुला रखते हैं.
कैदी वार्ड का गेट सटा हुआ रहता है. बेरोकटोक लोग आते हैं और अंदर प्रवेश कर जाते हैं. पूछने पर वहां सुरक्षा में लगे जवानों का वही रटा-रटाया जवाब सुनने को मिलता है कि परिजन तुरंत बंदी को दवा देने के लिए पहुंचे हैं. आखिर बीमार बंदी को दिन में कितनी बार दवा देने के लिए परिजन पहुंचते हैं, यह समझ से परे है.
अगर उक्त बंदी गंभीर रुप से बीमार हैं तो सदर अस्पताल में कैसे इलाज हो पा रहा है. सदर अस्पताल में मामूली दुर्घटना के घायल लोगों को तुरंत बाहर रेफर किया जाता है तो फिर बंदियों के गंभीर डिजिज का किस परिस्थिति में इलाज संभव है. आखिर ऐसे मरीजों को अस्पताल प्रबंधन बेहतर इलाज के लिए रिम्स व एम्स जैसे बड़े संस्थानों में क्यों नहीं रेफर करती है.