घर की माली हालत पहले से ही खराब थी. पेंशन की राशि से किसी तरह परिवार का गुजर-बसर हो रहा था. नये साहब ने पेंशन बंद कर दिया. इसी चिंता में वे बीमार पड़ गये. खाने को पैसा नहीं था. इलाज कहां से कराते. उधार लेकर किसी तरह इलाज कराये. पैसे नहीं लौटाने से लोगों ने उधार देना भी बंद कर दिया. इस दुख को वे झेल नहीं सके और दुनिया को अलविदा कह दिया.’
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पेंशन के टेंशन ने बंद कर दी बद्री मेहतर की सांस
देवघर: पेंशन से जुड़ी थी बद्री मेहतर की सांस. पेंशन क्या बंद हुई बद्री की सांस ही बंद हो गयी. पीछे छूट गया छह सदस्यों का बड़ा परिवार, जिसके लिए दिन पहाड़ है और रात कोई डरावना सपना. बद्री मेहतर कोई निकम्मा आदमी नहीं था. वह नगर निगम का सेवानिवृत सफाई कर्मचारी था. कोई एक […]
देवघर: पेंशन से जुड़ी थी बद्री मेहतर की सांस. पेंशन क्या बंद हुई बद्री की सांस ही बंद हो गयी. पीछे छूट गया छह सदस्यों का बड़ा परिवार, जिसके लिए दिन पहाड़ है और रात कोई डरावना सपना. बद्री मेहतर कोई निकम्मा आदमी नहीं था. वह नगर निगम का सेवानिवृत सफाई कर्मचारी था. कोई एक महीने से बीमारी से जूझ रहा था. यथोचित इलाज के अभाव में रविवार की रात वह चल बसा. शोकाकुल पत्नी चुनमुनी देवी कहती हैं- ‘ बद्री निगम के सफाई कर्मचारी थे. पांच साल पहले को सेवानिवृत हुए थे.
बहरहाल, बद्री के परिवार के सदस्य मौत के मातम और भविष्य के गम की दोहरी पीड़ा से दो-चार है. उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि जिंदगी कैसे कटेगी. आमदनी को कोई जरिया नहीं है. बद्री की पेंशन से रोटी-नमक का जुगाड़ हो रहा था. अब यह सहारा भी टूट गया. भुखमरी की चिंता दरवाजे पर दस्तक दे रही है. चुनमुनी देवी कहती हैं- ‘उनके पीछे पांच संतान हैं. इनमें तीन बेटियां हैं. तीनों में किसी की शादी नहीं हुई है. आगे क्या होगा कुछ पता नहीं.’
क्या कहते हैं सीइअो
निगम सीइओ अवधेश कुमार पांडेय ने कहा कि सेवानिवृत सभी कर्मियों से सहानुभूति है. लेकिन नियम के विरुद्ध नहीं जा सकते हैं. निगम में पेंशन का प्रावधान नहीं है. इसलिए पेंशन देना बंद किया गया है. हालांकि नगर विकास विभाग से दिशा-निर्देश मांगा गया है.
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