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30 हजार छात्राएं साइंस ग्रेजुएट की पढ़ाई से हुईं वंचित

मान्यता के बाद भी बाजला कॉलेज में 11 वर्षों तक नहीं हुई पढ़ाई मान्यता के बाद फिजिक्स, केमिस्ट्री, जूलॉजी, बॉटनी व मैथ में होना था दाखिला प्रत्येक डिपार्टमेंट में 100 सीटें निर्धारित, हर वर्ष होता 1000 दाखिला देवघर : मानव संसाधन विकास विभाग झारखंड सरकार द्वारा रमा देवी बाजला महिला कॉलेज में त्रिवर्षीय स्नातक साइंस […]

मान्यता के बाद भी बाजला कॉलेज में 11 वर्षों तक नहीं हुई पढ़ाई
मान्यता के बाद फिजिक्स, केमिस्ट्री, जूलॉजी, बॉटनी व मैथ में होना था दाखिला
प्रत्येक डिपार्टमेंट में 100 सीटें निर्धारित, हर वर्ष होता 1000 दाखिला
देवघर : मानव संसाधन विकास विभाग झारखंड सरकार द्वारा रमा देवी बाजला महिला कॉलेज में त्रिवर्षीय स्नातक साइंस के अध्ययन-अध्यापन को 2005 में ही मान्यता दी गयी थी. लेकिन बीते 11 वर्षों में न तो विज्ञान स्नातक में दाखिला हुआ न ही अध्ययन व अध्यापन हो सका.
इस कारण तीस हजार छात्राएं पढ़ाई एवं डिग्री से वंचित रह गयीं. मान्यता मिलने के बाद कॉलेज में फिजिक्स, केमिस्ट्री, जूलॉजी, बॉटनी एवं मैथ ऑनर्स की पढ़ाई शुरू होनी थी. प्रत्येक विषय में दाखिले के लिए 200 सीटें निर्धारित हैं. यानी एक शैक्षणिक सत्र में कॉलेज में अधिकतम 1000 छात्राओं का दाखिला निश्चित था. स्नातक की पढ़ाई का इंतजाम कॉलेज में नहीं होने के कारण हर वर्ष सैकड़ों लड़कियां आइएससी पास करने के बाद आगे की पढ़ाई से वंचित रह जाती थी. स्नातक साइंस की पढ़ाई की इच्छा होने के बाद भी सुरक्षा के दृष्टिकोण से हजारों छात्रों ने अन्य कॉलेजों में दाखिला नहीं लिया. अब मान्यता से संबंधित चिट्ठी का खुलासा होने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन तक अपनी गर्दन बचाने में जुटा हुआ है. मान्यता से संबंधित पत्र कैसे वर्षों तक फाइल में दबा रहा, यह सवाल अनुत्तरित है.
कॉलेज के प्राचार्यों के द्वारा वर्षों तक बार-बार विश्वविद्यालय प्रशासन को मान्यता दिलाने से संबंधित पत्र लिखा जाता रहा. कॉलेज प्रशासन के पत्र के आलोक में विश्वविद्यालय प्रशासन भी हर बार मान्यता दिलाने से संबंधित आश्वासन की घूंट पिलाता रहा. सिंडिकेट से लेकर सीनेट तक में साइंस ग्रेजुएट की पढ़ाई से संबंधित मान्यता के लिए आवाज भी बुलंद होती रही. लेकिन, मानव संसाधन विकास विभाग झारखंड सरकार द्वारा जारी पत्र को किसी ने गंभीरता नहीं दिखायी.

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