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बच्चों के बदलाव के लिए विशेष प्रशिक्षण कागज पर!

देवघर: देवघर के प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में अध्ययनरत छह से चौदह वर्ष तक के बच्चों के लिए विशेष प्रशिक्षण के माध्यम से जनादेश शिक्षा सुविधा उपलब्ध कराना अनिवार्य किया गया है. नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 में इसका स्पष्ट प्रावधान भी किया गया है. बावजूद देवघर के स्कूलों में इसका सर्वत्र अभाव दिख […]

देवघर: देवघर के प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में अध्ययनरत छह से चौदह वर्ष तक के बच्चों के लिए विशेष प्रशिक्षण के माध्यम से जनादेश शिक्षा सुविधा उपलब्ध कराना अनिवार्य किया गया है. नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 में इसका स्पष्ट प्रावधान भी किया गया है. बावजूद देवघर के स्कूलों में इसका सर्वत्र अभाव दिख रहा है.

अधिनियम के तहत विभिन्न अधिकारों, कार्यो एवं दायित्वों का निर्वाह्न् कैसे करें, बाल अधिकारों का संरक्षण कैसे किया जाये. आदि कई ऐसे सवाल हैं. जिसके जवाब से लोग अनजान हैं. अधिनियम के तहत विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था की गयी है.

प्रत्येक विद्यालय की विद्यालय प्रबंध समिति विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता रखने वाले बालकों की पहचान करेगी. साथ ही ऐसे बच्चों के लिए विशेष प्रशिक्षण की भी व्यवस्था करेगी.

अधिनियम की धारा 29 के अनुरूप प्रशिक्षण की व्यवस्था करने, प्रशिक्षण विद्यालय परिसर में लगायी गयी कक्षाओं में या सुरक्षित आवासीय कक्ष में आयोजित करने, प्रशिक्षण विद्यालय में कार्य कर रहे अध्यापकों द्वारा अथवा विशेष रूप से नियुक्त शिक्षकों द्वारा करने, तीन माह तक की न्यूनतम प्रशिक्षण देने, जिसे विशेष परिस्थिति में दो वर्ष तक के लिए विस्तार करने, वर्ग में अन्य बच्चों के साथ समन्वय के लिए विद्यालय में प्रवेश हो जाने के बाद भी ऐसे बच्चों पर विशेष ध्यान दिये जाने का प्रावधान किया गया है. ताकि विशेष प्रशिक्षण का निश्चित रूप से दूरगामी परिणाम सामने आयेगा. लेकिन, इसका दूर-दूर तक कोई असर नहीं दिख रहा है.

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