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विडंबना: कोकरीबांक मध्य विद्यालय में पढ़ रहीं सातवीं की छात्रा ने कहा, झारखंड की राजधानी पटना !
भारत सरकार व राज्य सरकार छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए हर वर्ष अरबों रुपये खर्च करती है. केंद्र व राज्य के बजट में शिक्षा पर विशेष फोकस रहता है. योजनाबद्ध तरीके से सरकारी स्कूलों में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराने से लेकर कुशल शिक्षकों की भरती की जाती है. शिक्षा से जुड़ी योजनाओं […]
भारत सरकार व राज्य सरकार छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए हर वर्ष अरबों रुपये खर्च करती है. केंद्र व राज्य के बजट में शिक्षा पर विशेष फोकस रहता है. योजनाबद्ध तरीके से सरकारी स्कूलों में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराने से लेकर कुशल शिक्षकों की भरती की जाती है. शिक्षा से जुड़ी योजनाओं का संचालन भी साथ-साथ किया जाता है. सरकारी स्कूलों की तुलना में प्राइवेट स्कूलों का इंफ्रास्ट्रकर एवं मैन पावर कहीं नहीं ठहरता है. बावजूद सरकारी स्कूलों के बच्चों का क्वालिटी इंप्रूव नहीं हो रहा है. बच्चों का आत्मविश्वास भी कमजोर ही रहता है. नतीजा बच्चे डिग्रियां हासिल करने के बाद भी सहज रूप से नौकरी हासिल नहीं कर पाते हैं. बेरोजगारों की भीड़ में कहीं न कहीं गुम होते चले जा रहे हैं. आखिर अरबों खर्च के बाद भी बेहतर नतीजा क्यों नहीं मिला पा रहा है. इन बिंदुओं पर प्रभात खबर संवाददाता ने पड़ताल की. पड़ताल में कई चौकाने वाले तथ्य उजागर हो रहे हैं. प्रस्तुत है सरकारी स्कूलों की किस्तवार रिपोर्ट…
हाल मध्य विद्यालय कोकरीबांक का
नामांकित विद्यार्थियों की संख्या-319
टेबल-बेंच की नहीं व्यवस्था,जमीन पर होता है अध्यापन कार्य
शौचालय बना, लेकिन पानी व साफ-सफाई की सुविधा नहीं
जसीडीह : देवघर प्रखंड के कोकरीबांक पंचायत स्थित मध्य विद्यालय में पठन-पाठन से लेकर अन्य व्यवस्थाएं खस्ताहाल है. विद्यार्थी जमीन पर बोरा बिछाकर बैठते हैं. विद्यालय में वर्ग एक से लेकर आठवें तक कुल 319 विद्यार्थी नामांकित हैं. इतने छात्र-छात्राओं के लिए महज चार शिक्षक हैं. इनमें एक सरकारी शिक्षक,एक महिला शिक्षक सहित दो पारा शिक्षक हैं.
सोमवार को सरकारी शिक्षक अनुपस्थित थे. दोनों पारा शिक्षक बच्चों को जमीन व बोरा पर बैठा कर पढ़ा रहे थे. स्कूल के छात्र-छात्राओं का शैक्षणिक स्तर काफी निराशाजनक है. प्रभात खबर प्रतिनिधि ने छात्र-छात्राओं वर्ग छह और सात के कई विद्यार्थियों से राज्य के मुख्यमंत्री का नाम पूछा, लेकिन सही जवाब नहीं मिला. वर्ग छह की एक छात्रा को पता नहीं कि झारखंड की राजधानी कहां है. कक्षा सात की छात्रा रानी (परिवर्तित नाम) ने झारखंड राज्य की राजधानी पटना बताया.
जमीन पर हो रहा अध्यापन
पारा शिक्षक रामा हांसदा एवं पारा शिक्षिका रेणु कुमारी ने बताया कि विद्यालय में वर्ग एक से आठ तक की पढ़ाई होती है और 319 छात्र-छात्राएं नामांकित है. सोमवार को वर्ग एक से लेकर आठ तक में 37 विद्यार्थी उपस्थित थे. टेबल-बेंच नहीं होने के कारण वे जमीन पर बोरा बिछाकर बैठते हैं. स्कूल में दो शौचालय हैं, लेकिन टंकी,पाइप एवं मोटर पंप नहीं लगाये जाने से पानी की सुविधा नहीं है. विद्यालय के प्रधानाध्यापक नागेश्वर दास ने बताया कि सीआरसी की बैठक में रहने के कारण वे सोमवार को विद्यालय में उपस्थित नहीं थे.
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