देवघर: झारखंड स्थापना के 13 वर्षो में संताल परगना में मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज खोला जाना आज भी सपना बना है. ऐसे में शिक्षा के स्तर में गुणात्मक सुधार अब भी चिंता की बात है. नतीजा यहां के प्रतिभावान छात्र-छात्रएं पैसों के अभाव में बाहर नहीं जा पा रहे हैं. 13 वर्षो में क्या सचमुच में शिक्षा का हालात बदला है.
इसे जानने के लिए प्रभात खबर के तत्वावधान में मंगलवार को विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. गोष्ठी की अध्यक्षता देवघर कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ सीता राम सिंह एवं आरडीबीएम कॉलेज देवघर की प्रिंसिपल प्रो प्रीति प्रसाद ने संयुक्त रूप से की. विचार गोष्ठी में एएस कॉलेज के सेवानिवृत्त शिक्षक प्रो श्यामा चरण खवाड़े ने विषय प्रवेश कराया. उपस्थित बुद्धिजीवियों ने कहा कि संयुक्त बिहार में संताल परगना उपेक्षित था. झारखंड निर्माण की अवधारणा के पीछे का उद्देश्य स्थानीय लोगों को समुचित लाभ दिलाना था. लेकिन, राजनीति पार्टियों की अदूरदर्शिता के कारण हर कोई त्रस्त हैं. नेतृत्व करने वालों में दूरदर्शिता की कमी है.
बुद्धिजीवियों ने कहा कि समाज व राष्ट्र के निर्माण के लिए शिक्षा अहम होता है. पिछले 13 वर्षो में संताल परगना में शिक्षा के स्तर में सुधार होने के बजाय लगातार ह्रास होता गया. आज भले ही संताल परगना में एक विश्वविद्यालय हैं. लेकिन उसे अपना भवन नहीं है. कॉलेज है. लेकिन, वहां छात्रों की उपस्थिति नगण्य है. विश्वविद्यालय एवं कॉलेजों में शिक्षा का स्तर इतना गिर गया है कि प्रतिभावान शिक्षक परेशान हैं. झारखंड में खनिज संपदा अकूत है. अगर सरकार खनिज संपदा एवं प्राप्त होने वाले रायल्टी का सही इस्तेमाल करें तो शिक्षा के स्तर में गुणात्मक सुधार होने के साथ-साथ प्रदेश में संताल परगना एक रोल मॉडल बन कर उभरेगा.