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चंदन स्वामी से तंग आकर छोड़ा आश्रम

देवघर: त्रिकुटाचंल आश्रम की पीठाधीश्वरी मां भक्ति प्रभा 10 माह बाद मीडिया के सामने आयीं. शनिवार को होटल नटराज विहार में मां भक्ति प्रभा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आश्रम के केयरटेकर चंदन स्वामी के समक्ष ही उन पर गंभीर आरोप लगाये. मां भक्ति प्रभा (75 वर्षीय) ने बताया कि उन्होंने रांची एसडीएम कार्यालय में शपथ […]

देवघर: त्रिकुटाचंल आश्रम की पीठाधीश्वरी मां भक्ति प्रभा 10 माह बाद मीडिया के सामने आयीं. शनिवार को होटल नटराज विहार में मां भक्ति प्रभा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आश्रम के केयरटेकर चंदन स्वामी के समक्ष ही उन पर गंभीर आरोप लगाये.

मां भक्ति प्रभा (75 वर्षीय) ने बताया कि उन्होंने रांची एसडीएम कार्यालय में शपथ पत्र दायर किया है. दायर शपथ-पत्र में उन्होंने कहा है कि त्रिकुटाचंल आश्रम की संपत्ति हड़पने की नियत से चंदन स्वामी उनके साथ मारपीट करते थे. आश्रम पहुंचने वाले शिष्यों के समक्ष चंदन स्वामी दिखावे के तौर पर मां भक्ति प्रभा से अच्छा व्यवहार करते थे, किंतु अकेले में मां भक्ति प्रभा से र्दुव्‍यवहार करते थे. इस प्रताड़ना से तंग आकर 26 जनवरी, 2013 को बनारस यात्र के बाद से वह त्रिकुटांचल आश्रम नहीं लौटी व अपने शिष्यों के आवास पर समय काटा. इस क्रम में वह बनारस के बाद कोलकाता, आसनसोल, मेरठ, देवघर, दिल्ली व रांची में अपने शिष्यों के घर रही. शिष्यों में रांची स्थित आइएएस एनएन पांडेय व उपसचिव एके रतन के आवास पर भी मां भक्ति प्रभा कई माह तक रुकी थी.

चंदन स्वामी से जान का भी खतरा
मां भक्ति प्रभा के अनुसार, 1991 से वह चंदन स्वामी का प्रताड़ना ङोल रही है. वे कहती हैं कि चंदन स्वामी कभी-कभी अपने पैर से भी उन्हें मारते थे. इस कारण हमेशा मां भक्ति प्रभा को चंदन स्वामी से जान का खतरा था. इसलिए कोलकाता में चंदन स्वामी ने जब उन्हें अपने साथ ले जाने का प्रयास किया तो उन्होंने मौन व्रत में ही डर से मना कर दी.

निजी खाते में डाला आश्रम का पैसा
मां भक्ति प्रभा के शपथ पत्र के अनुसार, आश्रम के नकद व जेवरात बैंक ऑफ इंडिया(देवघर), सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया(देवघर) व वनाचंल ग्रामीण बैंक(घोरमारा) में है. इसमें चंदन स्वामी ने बैंक ऑफ इंडिया में मां प्रभा को नोमनिज की झूठी बात कह कर अपने निजी खाते में पैसा डाल दिया व लाखों का जेवरात लॉकर में रखा. जबकि अन्य दो बैंकों में मां भक्ति प्रभा के नाम से खाता तो हैं, लेकिन उसमें दो से तीन हजार रुपये ही जमा है. मां भक्ति प्रभा ने कहा कि उन्हें शिष्यों ने सोने का हार, अंगूठी, चेन व कान की बालियां दी थी.

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