देवघर: सत्संग नगर में श्रीश्री ठाकुर अनुकूलचंद्र जी का दो दिवसीय 128वां जन्म महामहोत्सव सह 301वां सर्वभारतीय सत्संग ऋत्विक सम्मेलन के दूसरे दिन उत्सव मंडप में ऋत्विक सम्मेलन हुआ. इसकी अध्यक्षता कार्तिक चंद्र सरकार ने की़ सम्मेलन में अगस्त, सितंबर व अक्तूबर माह के कार्यों को सभी ऋत्विकों के समक्ष रखा गया.
इसमें सतसंग आश्रम के तत्वावधान में चल रहे सामाजिक व धार्मिक कार्यों को रखा गया तथा इस पर विस्तार से चर्चा की गयी़ कार्यों पर सभी ऋत्विकों ने संतुष्टि जतायी तथा उसे जारी रखने पर सहमति दी़ कार्यक्रम में श्रीश्री आचार्य देव ने ऋत्विकों को संबोधित करते हुए सलाह दी कि सभी ऋत्विक अपने शहर, मुहल्ला व प्रांत में श्रीश्री ठाकुर जी के विचारों से लोगों को अवगत करायें. उन्होंने कहा कि ठाकुर जी वाणी आज भी प्रासंगिक है़ उनके बताये मार्गों पर चलने से ही स्थायी शांति मिल सकती है़ .
अभी भी लोगों तक ठाकुर जी की वाणी नहीं पहुंच पायी है़ उसे पहुंचाना हर ऋत्विकों का कर्तव्य है़ इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत ब्रह्म मुहूर्त में वेद मांगलिकी से की गयी़ इसके उपरांत नहवत की गयी. सुबह 5:41 में ठाकुरबाड़ी में सामूहिक प्रार्थना, ठाकुर जी का आशीर्वाणी पाठ, अर्ध्यांजलि सहित प्रणाम व श्रीश्री ठाकुर जी के अमिय ग्रंथादि पाठ किया गया. सुबह 8:55 में आचार्य देव दादा के सान्निध्य में समवेत नामजप, सुबह नौ बजे श्रीश्री गुरुग्रंथ साहिब जी एवं परमप्रेममय श्रीश्री ठाकुर के अमियग्रंथादि पाठ किया गया. सुबह 10:30 बजे ठाकुर बंगला में श्रीश्री ठाकुर जी व श्रीश्री बड़ मां की पूजा व भोग निवेदन किया गया़ इसके उपरांत उत्सव मंडप में ऋत्विक सम्मेलन शुरू हुआ़.
मेदिनीपुर जिला को मिला आनंद बाजार का दायित्व
इस बार आनंद बाजार में सेवा का मौका मेदिनीपुर जिला को मिला़ इसे लेकर जिले के कार्यकर्ता एक सप्ताह से देवघर में कैंप कर रहे थे़ दोपहर व रात्रि दोनों समय आनंद बाजार लगाया गया़ दूसरे दिन सभी अनुयायियों को भरपेट प्रसाद खिलाया गया़ दिन के 2:30 बजे आंचलिक कर्मी सम्मेलन किया गया़ इसमें सभी प्रदेश के कर्मियों को बारी-बारी से अपनी बात रखने का मौका दिया गया़ संध्या 5:15 ठाकुरबाड़ी में सामूहिक प्रार्थना, आचार्य देव दादा के सान्निध्य में समवेत नामजप व श्रीश्री ठाकुर के अमिय ग्रंथादि पाठ का आयोजन किया गया. रात्रि 8:00 बजे श्रीश्री ठाकुर जी व बड़ मां का भोग निवेदन किया गया.
सतसंग में देश के बंगाल, बिहार, झारखंड, दिल्ली, यूपी, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडि़सा, असम, मणिपुर, त्रिपुरा, पंजाब, हरियाणा, केरल, कर्नाटक, जम्मू एंड कश्मीर आदि प्रांतों से बड़ी संख्या में शिष्य सतसंग आश्रम पहुंचे थे. सम्मेलन को सफल बनाने में श्रीश्री आचार्य देव, बबाय दा, सीपाय दा, बिंकी दा, आलोक दा, सचिव कार्तिक चंद्र सरकार, समीर बनर्जी, शांतिकर, समीर पर्वत, ब्रजो साहो, दीपानंद प्रसाद, शिवानंद उर्फ राजू दा सहित ऋत्विकों ने महती भूमिका निभायी.