मधुपुर : निर्मल भारत अभियान व स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में चलायी जा रही शौचालय योजना मुखिया व जल सहिया की लापरवाही के कारण बुरी तरह प्रभावित हो रही है. लापरवाही के कारण पेयजल व स्च्छता विभाग को न सिर्फ लक्ष्य प्राप्ति में काफी परेशानी हो रही है, बल्कि उपयोगिता प्रमाणपत्र के अभाव में विभाग से नयी राशि के आवंटन पर भी रोक लगने की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. बताया जाता है कि पेयजल व स्वच्छता विभाग द्वारा अनुमंडल के करौं, मधुपुर, मारगोमुंडा, सारठ व पालोजोरी प्रखंड में शौचालय निर्माण के लिए विभिन्न वित्तीय वर्ष में 2 करोड़ 30 लाख 99 हजार रुपये अलग-अलग गांव के ग्राम जल स्वच्छता समिति के खाते में हस्तांतरित कर दिये गये थे .
अधिकतर प्रखंडों में उक्त राशि खर्च के अभाव में पड़ी हुई है. मुखिया व जल सहिया द्वारा खर्च किये गये रुपये का उपयोगिता प्रमाणपत्र भी अब तक कार्यालय में जमा नहीं कराया गया है.वहीं इस योजना के तहत निर्मित होने वाले सैकड़ो शौचालय आधा-अधूरा है. उक्त राशि विभिन्न ग्राम जल स्वच्छता समिति को वित्त वर्ष 2011-12 से 14-15 के बीच उपलब्ध करायी गयी है . पेयजल व स्वच्छता विभाग, रांची ने सभी विभागो ंको स्पष्ट आदेश जारी किया है कि पूर्व में दी गयी 60 प्रतिशत राशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र विभाग को नहीं भेजा गया तो शौचालय निर्माण में नया आवंटन रूक जाएगा. ग्राम जल स्वच्छता समिति बैंक खाते का संचालन बतौर अध्यक्ष मुखिया व कोषाध्यक्ष जल सहिया करते है. बताया जाता है कि उक्त दोनों योजनओं के तहत पेयजल विभाग ने अपने हिस्से के 4 हजार 600 रुपये बैंक खाते में भेज दिये हंै. वहीं पूर्व में इस मद में मनरेगा के तहत भी 3 हजार 678 रुपये मिलने थे. कहीं-कहीं उक्त राशि मिलने में भी विलंब हुआ है. जिसके कारण भी निर्माण कार्य बाधित हुआ है.
पेयजल व स्वच्छता विभाग द्वारा चालू वित्तीय वर्ष में अनुमंडल के सभी पांच प्रखंड में एक -एक पंचायत के सभी परिवारों को शौचालय निर्माण के लिए चयन किया है. जिसके तहत पालोजोरी प्रखंड में पालोजोरी पंचायत, मधुपुर में दलहा, मारगोमुंडा में मारगोमुंडा, करौं में रानीडीह व सारठ में केचुआबांक शामिल है. इसके अलावा सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत करौं प्रखंड के डिंडाकोली पंचायत का चयन हुआ है. इन छह पंचायतो में 5 हजार 899 शौचालय निर्माण कार्य क्रमवार प्रारंभ करा दिया गया है. प्रत्येक शौचालय का निर्माण 12 हजार से होना है.
क्या कहते है जिला समन्वयक : पेयजल व स्वच्छता के जिला समन्वयक संजय कुमार मिश्र ने कहा कि 2 करोड़ 30 लाख 99 हजार राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र मुखिया व जल सहिया द्वारा नहीं दिया गया है. जिसके कारण योजना पर बुरा असर पड़ा है. कई बार इसके लिए पत्र भी भेजा गया है. अब वरीय अधिकारियों को प्राथमिक दर्ज कराने का आदेश के लिए लिखा जाएगा.