संताल परगना के लोगों को मुख्य पेशा खेती है, जो आर्थिक दृष्टिकोण से काफी नहीं है. इसलिए यहां के लोगों को शिक्षा से जोड़ना जरूरी है. संस्कृत भाषा की जानकारी होने से यहां के लोग अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं. संस्कृत भाषा हर भारतीयों के संस्कृति में बसता है. जब यहां के लोग संस्कृत भाषा से शिक्षित होंगे, तो यहां आनेवाले o्रद्धालुओं को भी इससे लाभ होगा.
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कतार पहुंची तिवारी चौक के पार, देवघर में खुले संस्कृत विश्वविद्यालय
देवघर. गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने मुख्यमंत्री रघुवर दास को पत्र भेजकर मांग की है कि देवघर में संस्कृति विश्वविद्यालय का स्थापना किया जाये. o्री दुबे ने भेजे पत्र में कहा है कि चूंकि देवघर 51 शक्तिपीठ व 12 ज्योतिर्लिग वाले स्थानों में आता है तथा यहां की धार्मिक संस्कृति भी संस्कृत से मेल खाता […]
देवघर. गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने मुख्यमंत्री रघुवर दास को पत्र भेजकर मांग की है कि देवघर में संस्कृति विश्वविद्यालय का स्थापना किया जाये. o्री दुबे ने भेजे पत्र में कहा है कि चूंकि देवघर 51 शक्तिपीठ व 12 ज्योतिर्लिग वाले स्थानों में आता है तथा यहां की धार्मिक संस्कृति भी संस्कृत से मेल खाता है. यहां हर साल पांच करोड़ से अधिक o्रद्धालू देश के कोने-कोने से पहुंचते हैं. ऐसे में देवघर संस्कृत विश्वविद्यालय खुलने के लिए उपयुक्त जगह है. उन्होंने कहा है कि संस्कृत ही वह भाषा है जिसमें लोगों को जोड़ने व सुसंस्कृत बनाने की क्षमता है.
नक्सलवाद से निबटने के लिए भी संस्कृत जरूरी : कहा है कि इस क्षेत्र में शांति के लिए संस्कृत विश्वविद्यालय का खुलना अत्यंत जरूरी है. झारखंड का संताल परगना व छोटानागपुर का क्षेत्र नक्सल प्रभावित है. नक्सलवाद से निबटने के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है. ऐसे में संस्कृत विश्वविद्यालय खुलने से लोग शिक्षित होंगे.
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