देवघर: सादगी और त्याग के लिए महात्मा गांधी विख्यात थे. वे जहां भी जाते थे वहां के आयोजकों को कह देते थे कि उनके लिए विशेष तामझाम या फिजूलखर्ची करने की जरूरत नहीं है. देवघर से जुड़ी उनकी एक यादें हैं जो एक साथ कई संदेश देती है. 1930 के दशक में महात्मा गांधी अछूतोद्धार कार्यक्रम के तहत देवघर पहुंचे. यहां उनके लिए ठहरने की व्यवस्था बंपास टाउन स्थित सेठ सूरज मल जालान की बिजली कोठी में की गयी थी. गांधी जी के आगमन के लिए बिजली कोठी को खूब सजाया गया था. तरह-तरह के फूल व पौधे वाले गमले लगाये गये थे.
जानकार बताते हैं कि जब गांधी जी ने बिजली कोठी में प्रवेश किया तो सजावट देख दंग रह गये. उन्होंने पूछा ये गमला वगैरह कहां से आया. तब जालान परिवार के लोगों ने बताया कि बापू आप यहां आने वाले थे, इसलिए यह सब लगाया है.
इस पर गांधी जी ने कहा इतनी फिजूलखर्ची करने की जरूरत क्या थी. जितने पैसे में यह सजावट किया गया है, उतने में कई गरीबों का पेट भर जाता. उन्होंने आयोजकों को नसीहत दी कि अब आगे से जहां भी मेरा कार्यक्रम हो, प्रवास हो, वहां इस तरह की तामझाम की जरूरत नहीं है. जहां भी हो सादगी भरा कार्यक्रम हो. गांधी जी के देवघर आगमन की पुष्टि गांधी संग्रहालय के दस्तावेजों में है. वर्तमान में बिजली कोठी नंबर-1 विवाह भवन में तब्दील हो गया है. उसके मालिक भी बदल गये हैं. बिजली कोठी के तत्कालीन ऑनर सेठ सूरज मल जालान के परिवार के सदस्य कोलकाता में रह रहे हैं. बिजली कोठी की संरचना आज भी वैसी ही है जैसा 1930 के दशक में था.