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प्रवचन :::ताओ का प्रतीक जल है

ताओ का प्रतीक जल है क्योंकि जल कोमल है, परंतु वह प्रकृति की एक बड़ी शक्ति है. उसकी गति नीचे की ओर होती है. यह सबकी भलाई करता है. धारारूप में वह चट्टानों, घाटियों में बहता है. अपने साथ चट्टान के टुकड़ों को बहाते हुए उन्हें गोलाकार बनाता है. उसके मार्ग की देशों की सीमाएं […]

ताओ का प्रतीक जल है क्योंकि जल कोमल है, परंतु वह प्रकृति की एक बड़ी शक्ति है. उसकी गति नीचे की ओर होती है. यह सबकी भलाई करता है. धारारूप में वह चट्टानों, घाटियों में बहता है. अपने साथ चट्टान के टुकड़ों को बहाते हुए उन्हें गोलाकार बनाता है. उसके मार्ग की देशों की सीमाएं तथा अन्य अवरोध रोक नहीं पाते. ”पानी की अच्छाई यह है कि वह दस हजार प्राणियों को लाभान्वित करता है. तथापि वह कोई शिकायत नहीं करता, वह अन्य व्यक्तियों द्वारा घृणित स्थानों में भी संतुष्ट रहता है. यही कारण है कि पानी ताओ मार्ग के इतना निकट है”ताओ संत चुआंग त्से पानी की ओर संकेत करते हुए उसके बहने के गुण तथा पारदर्शिता की मानव के मन से तुलना करते हुए कहता है -”जब पानी एकदम स्थिर होता है तो दर्पण जैसा दिखता है और यदि वह स्थिरता से स्पष्टता प्राप्त कर सकता है तो मन कितनी अधिक स्पष्टता प्राप्त कर सकता है? संत का धीर-स्थिर मन सृष्टि का दर्पण होता है।”

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