21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

प्रवचन:::: हिंदू धर्म का प्रारंभ व्यक्ति के समाज में रहने के दौरान हुई

ये पांच मत समग्र हिंदू धर्म को एकीकृत करते हैं. आज का हिंदू धर्म हजारों वर्षों के ऐतिहासिक परिवर्तन, विभिन्न संस्कृतियों के आत्मसात, आक्रमणों तथा राजनैतिक उथल-पुथल के फलस्वरूप भी अपने मूल-स्वरूप को नहीं खो पाया तथा आज अपने पूर्वजों की विरासत को संरक्षित रखते हुए इस अवस्था में पहुंचा है. इस धर्म का प्रारंभ […]

ये पांच मत समग्र हिंदू धर्म को एकीकृत करते हैं. आज का हिंदू धर्म हजारों वर्षों के ऐतिहासिक परिवर्तन, विभिन्न संस्कृतियों के आत्मसात, आक्रमणों तथा राजनैतिक उथल-पुथल के फलस्वरूप भी अपने मूल-स्वरूप को नहीं खो पाया तथा आज अपने पूर्वजों की विरासत को संरक्षित रखते हुए इस अवस्था में पहुंचा है. इस धर्म का प्रारंभ प्राकृतिक रूप से जीवन-यापन द्वारा व्यक्ति को समाज में रहते हुए, आध्यात्मिक आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए हुआ था. परंतु उसने अपने दीर्घ जीवन में अनेक उतार-चढ़ाव देखे, कठिन समय में से गुजरा फिर भी अपने अस्तित्व को बरकरार रखा. इसका प्रमुख कारण यह है कि इसने दूसरों के विचारों तथा जीवन पद्धतियों का हमेशा आदर किया तथा उन्हें अपने में समाहित किया. हिंदू धर्म का हमेशा यह ध्येय रहा है कि तुम जैसे चाहो, पूजा करो और मुझे अपने ढंग से करने दो. यही कारण है कि हिंदू धर्म आज भी अपने मूल रूप में विद्यमान है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें