21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

प्रवचन :::आदि गुरु शंकराचार्य ने आत्मसाक्षात्कार के लिये पांच समन्वित मत स्थापित किये

शुद्ध चित्त वाले, भक्ति तथा उच्च चेतना की प्राप्ति के लिये राजयोग को साधना करते हैं. यह सच्चे योगियों तथा स्वस्थ-संतुलित शरीर व मनोमस्तिष्क वाले साधकों के लियेे है, जिन्होंने ब्रह्मचर्य, गृहस्थ तथा वानप्रस्त के प्रशिक्षण को पूरा कर संन्यास आश्रम में प्रवेश किया हो. भारतीय धर्मों का इतिहास यह बताता है कि समय-समय पर […]

शुद्ध चित्त वाले, भक्ति तथा उच्च चेतना की प्राप्ति के लिये राजयोग को साधना करते हैं. यह सच्चे योगियों तथा स्वस्थ-संतुलित शरीर व मनोमस्तिष्क वाले साधकों के लियेे है, जिन्होंने ब्रह्मचर्य, गृहस्थ तथा वानप्रस्त के प्रशिक्षण को पूरा कर संन्यास आश्रम में प्रवेश किया हो. भारतीय धर्मों का इतिहास यह बताता है कि समय-समय पर उच्च आध्यात्मिक विभूतियों का अवतरण हुआ, जिन्होंने धार्मिक आस्था को नया रूप देकर उनको लक्ष्य की एकता की समझबूझ प्रदान की. ऐसे दिव्य महापुरुषों की श्रेणी में आधुनिक समय के आदि गुरु शंकराचार्य का नाम अग्रगण्य है जिनका जन्म आज से करीब 1200 साल पूर्व केरल (भारत) मंे हुआ था. इस काल में जब भारतीय संस्कृति, दर्शन तथा धर्म विभिन्न मतांतरों के परस्पर संघर्ष के कारण विशृंखलित होकर पतन की और उन्मुख थे, तब आदि गुरु शंकराचार्य ने आत्मसाक्षात्कार के लिये पांच समन्वित मत स्थापित किये.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें