प्रत्येक व्यक्ति भंडार गृह से अपनी जरूरत की चीजें ले लेता था. किसी के बीमार होने पर उसकी चिकित्सा तथा देखभाल की जिम्मेदारी पूरे समुदाय की होती थी. नि:संतान वृद्धों को भी वृद्धावस्था में प्रेम, सेवा, सम्मान और सुख पहुंचाया जाता था. उन्हें अपने नि:संतान होने का दुख तथा अनुभव नहीं होने दिया जाता था. बल्कि उन्हें संतान होने वालों की अपेक्षा कहीं अधिक मान-सम्मान दिया जाता था. इस प्रकार इन लोगों का जीवन गर्व का विषय था जिसे देखकर शक्तिशाली राजा भी आश्चर्य तथा उनकी प्रशंसा करते थे. एसीन गुह्य कला, विज्ञान, खगोल शास्त्र, ज्योतिष, अंक शास्त्र तथा गणितीय प्रतीक शास्त्र में निपुण थे. ऐसा विश्वास है कि पाइथागोरस ने गणित तथा आध्यात्म की शिक्षा ग्रहण की थी. अपने दैनिक कार्यों के आधार पर यह समुदाय दो समूहों में विभक्त था. पहला समूह ‘प्रेक्टिसी’ कहताला था, जिसमें लोग कपड़े, बरतन, सब्जियां तथा जरूरत की अन्य वस्तुओं के उत्पादन में लगे रहते थे.
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प्रवचन:::: समुदाय में एकता ही सर्वश्रेष्ठ है
प्रत्येक व्यक्ति भंडार गृह से अपनी जरूरत की चीजें ले लेता था. किसी के बीमार होने पर उसकी चिकित्सा तथा देखभाल की जिम्मेदारी पूरे समुदाय की होती थी. नि:संतान वृद्धों को भी वृद्धावस्था में प्रेम, सेवा, सम्मान और सुख पहुंचाया जाता था. उन्हें अपने नि:संतान होने का दुख तथा अनुभव नहीं होने दिया जाता था. […]
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