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बीमारी से बचाव के लिए साफ -सफाई जरूरी

देवघर: मौसम के उतार चढ़ाव में इन दिनों कई तरह की मौसमी बीमारियों से लोग ग्रसित हो रहे हैं. इस बीमारियों से बचने के उपाय व समय पर इलाज संबंधित जानकारी देने शनिवार को प्रभात खबर कार्यालय में परिचर्चा में फिजीशियन व आर्थो विशेषज्ञ डा संजय कुमार उपस्थित हुए. डा संजय कुमार ने कहा कि […]

देवघर: मौसम के उतार चढ़ाव में इन दिनों कई तरह की मौसमी बीमारियों से लोग ग्रसित हो रहे हैं. इस बीमारियों से बचने के उपाय व समय पर इलाज संबंधित जानकारी देने शनिवार को प्रभात खबर कार्यालय में परिचर्चा में फिजीशियन व आर्थो विशेषज्ञ डा संजय कुमार उपस्थित हुए. डा संजय कुमार ने कहा कि बरसात में मुख्य रुप से फैलने वाली बीमारियां वायरल बुखार, सर्दी-खांसी, मलेरिया, टायफायड व डायरिया है. यह सारी बीमारियां गंदगी में अपना पांव पसारती है. इन बीमारियों से बचाव के लिए साफ-सफाई पर ध्यान देना आवश्यक है. परहेज भी बीमारियों का प्राथमिक उपचार में शामिल है. डा संजय कुमार ने कहा दरअसल गांव में कुआं व चापानल का पानी सीधे तौर पर लोग प्रयोग करते हैं, इससे डायरिया व वायरल बुखार होने की संभावना रहती है. पानी को लोग हमेशा उबालकर पीयें, इससे पानी के अंदर सारी गंदगी नष्ट हो जाती है.

डायरिया में तीन दस्त होते ही डॉक्टर के पास जायें
डा संजय कुमार ने कहा कि डायरिया फैलने का मुख्य कारण गंदगी, जलजमाव व बासी खाना आदि है. डायरिया में किसी भी प्रकार का रिस्क लोगों को नहीं लेना चाहिए. तीन दस्त होते ही इसका डॉक्टरों से इलाज शुरू करवा दें. अगर तीन दस्त के साथ-साथ पसीना व कमजोरी होने लगे तो तुरंत अपने नजदीकी अस्पताल में जायें व डॉक्टर की सलाह से दवा लेना शुरू करें. बच्चों में भी यह सिस्टम लागू होता है.बच्चों में डायरिया को लेकर परिजनों को हमेशा सतर्क रहना चाहिए. बच्चों की साफ -सफाई पर खास ध्यान रखना होगा. भोजन से पहले बच्चों का हाथ साबुन से अवश्य धुलायें व बिल्कुल ताजा भोजन परोसा जाये.

कोई भी दवा का कोर्स जरूर पूरा करें
डा संजय कुमार ने कहा कि चिकित्सकों के सलाह के अनुसार मरीज को दवा का कोर्स पूरा करना चाहिए. चिकित्सक अगर कोई दवा मरीज को डोज के अनुसार लेने की सलाह देते हैं तो उसे निश्चित रुप से लेना चाहिए. बीच में अगर दवा लेना छोड़ देंगे तो बीमारी पूरी तरह से मुक्त नहीं होगी व दुबारा अपने चपेट में ले सकती है. उन्होंने बताया कि तेज बुखार, ठंड, शरीर में दर्द, उल्टी व घबराहट मलेरिया का लक्षण है. जबकि टायफायड का लक्षण बुखार, पसीना, कंपकपी व भूख नहीं लगना है. मलेरिया का दवा पांच से सात दिनों का होता है.

जोड़ों के दर्द के लिए कैल्सियम जरूरी
डा संजय कुमार ने कहा कि ऑर्थोराइटिस के अधिकांश मरीज 30 वर्ष के बाद मिल रहा है. आर्थोराइटिस में मरीजों को जोड़ों में दर्द होता है. घुटना व कमर में अधिक दर्द होता है. कैलशियम की कमी से जोड़ों का दर्द होता है. महिलाओं में अधिक जोड़ों के दर्द की शिकायत है, चूंकि 40 से अधिक उम्र वाली महिलाओं में कैलशियम की कमी होती है. इस कारण महिलाओं को रात में आयरन की गोली दिया जाता है. महिलाओं को अधिक कैलशियम लेनी चाहिए. इलाज के लिए डॉक्टर से मिलें.

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