बावजूद दोनों थाने को अफीम खेती की सूचना तक नहीं थी. जिले के लोगों में चर्चा है कि अफीम की खेती कोई दो-चार दिन की बात तो नहीं है. पौधे तैयार हो चुके थे, फल भी आ गया था. इतना ही नहीं अफीम के फलों में चीरा तक लगा था. इससे लगता है कि यह कारोबार कई महीने से चल रहा होगा और पुलिस के इतने बड़े नेटवर्क रहने के बाद भी मामले की भनक तक नहीं लगा. पूरे मामले में अब उस इलाके की पुलिस की भूमिका संदिग्ध प्रतीत हो रहा है. अगर विभागीय जांच करायी गयी तो बड़ा खुलासा हो सकता है. पुलिस की बड़ी लापरवाही भी उजागर हो सकती है. ग्रामीण स्तर पर चौकीदार होते हैं, जो सूचना संकलित करती है किंतु थाने को मामले का पता तक नहीं चल सका. मुखिया सहित पंचायत प्रतिनिधि भी गांव में हैं, बावजूद इस अवैध कार्य पर किसी की नजर तक क्यों नहीं गयी.
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पालोजोरी में अफीम की खेती, किया गया नष्ट
पालोजोरी: थाना क्षेत्र के शिमलगढ़ा गांव में अफीम की खेती करायी गयी थी. पौधे पर फल भी आ गये थे और कई फलों में चीरा भी लगा हुआ था. गुप्त सूचना पर शुक्रवार को थाना प्रभारी बिनेश लाल सशस्त्र बलों के साथ वहां पहुंचे और अफीम फसल को नष्ट कराया. बताया जाता है कि शिमलगढ़ा […]
पालोजोरी: थाना क्षेत्र के शिमलगढ़ा गांव में अफीम की खेती करायी गयी थी. पौधे पर फल भी आ गये थे और कई फलों में चीरा भी लगा हुआ था. गुप्त सूचना पर शुक्रवार को थाना प्रभारी बिनेश लाल सशस्त्र बलों के साथ वहां पहुंचे और अफीम फसल को नष्ट कराया.
बताया जाता है कि शिमलगढ़ा गांव के पीछे जोरिया के पास ढाई कट्ठा जमीन में अफीम की खेती करायी गयी थी. पुलिस ने तत्काल फसल नष्ट करते हुए इसके कुछ नमूने जब्त कर अपने साथ जांच के लिए ले गये.
अफीम नष्ट करने के लिये पुलिस टीम के पहुंचने की भनक पाकर गांव के अन्य लोग घरों में घुस गये. वहीं जमीन मालिक घर छोड़ फरार हो गये. पुलिस के अनुसार, उक्त जमीन पर लगे अफीम का बाजार मूल्य लाखों में आंका जा रहा है. थाना प्रभारी बिनेश लाल ने बताया कि फसल को देखने पर प्रतीत होता है कि इसे लगाने वाले काफी प्रशिक्षित हैं. क्योंकि नशीला पदार्थ निकालने के लिये अफीम के फलों में बड़ी सावधानी से चीरा लगा निशान भी देखने को मिला. अगर कुछ दिन पुलिस को भनक नहीं लगती तो अफीम से तैयार नशीला पदार्थ बाजार भी पहुंच जाता. थाना प्रभारी ने बताया कि जिस जमीन में अफीम फसल लगाया गया है वह शिमलगढ़ा गांव के ग्राम प्रधान सिनंद मरांडी का है. पूछताछ करने पुलिस उनके घर पहुंची तो कोई नहीं मिले. घटना को लेकर थाने में प्राथमिकी दर्ज कर पड़ताल आरंभ कर दी गयी है. छापेमारी दल में दंडाधिकारी के रूप में बीपीआरओ वीरेंद्र राम व एएसआइ ब्रrोश्वर पाठक सहित काफी संख्या में सशस्त्र जवान शामिल थे.
पुलिस की भूमिका पर सवाल, जांच में हो सकता है बड़ा खुलासा
देवघर: अफीम की खेती का मामला उजागर होने से देवघर पुलिस की कार्यकलापों पर भी सवाल उठने लगे हैं. बताया जाता है कि जिस शिमलगढ़ा गांव में अफीम की खेती हुई है. उसकी दूरी पालोजोरी थाना से करीब 25 किलोमीटर है. वहीं चितरा थाने से महज छह किलोमीटर दूर पर ही यह गांव अवस्थित है.
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