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प्रवचन:::: समय के साथ ध्यान की पद्धतियां विसकित होती गयी

इनमें सबसे प्रथम स्थान प्राचीन मिस्त्र का था, जहां मानव की प्रकृति (शाश्वत ब्रह्माण्डीय शक्तियों और उनके सिद्धांतों के समग्र रूप) पर आधारित ध्यान तथा आध्यात्मिक जीवन की अत्यंत विकसित पद्धतियां विद्यमान थीं. इसी प्रकार प्राचीन यूनान में भी पाश्चात्य दर्शन तथा आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधानों पर आधारित संस्कृति विद्यमान थी. साथ ही वहां सुकरात, प्लेटो […]

इनमें सबसे प्रथम स्थान प्राचीन मिस्त्र का था, जहां मानव की प्रकृति (शाश्वत ब्रह्माण्डीय शक्तियों और उनके सिद्धांतों के समग्र रूप) पर आधारित ध्यान तथा आध्यात्मिक जीवन की अत्यंत विकसित पद्धतियां विद्यमान थीं. इसी प्रकार प्राचीन यूनान में भी पाश्चात्य दर्शन तथा आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधानों पर आधारित संस्कृति विद्यमान थी. साथ ही वहां सुकरात, प्लेटो और अरस्तू जैसे महान ज्ञान योगियों की शिक्षाओं का भी बहुत प्रचार-प्रसार था. प्राचीन यूरोप की एक अन्य आध्यात्मिक परंपरा ‘ड्रूइड’ की थी, जिसमें प्राचीन ब्रिटेन और फ्रांस की ‘सेल्टिस’ जनजाति के संन्यासी और शिक्षक शामिल थे. इसके अतिरिक्त इसमें रोमन आक्रमण के पूर्व उत्तरी यूरोप की अन्य जनजातियों के लोग भी शामिल थे. इनमें ड्रूइड के सबसे प्रसिद्ध शिक्षक पौराणिक ‘बाज’ (जादूगर) का नाम उल्लेखनीय है.

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