यदि विभिन्न धर्मों, देशों तथा संस्कृतियों के लोग विभिन्न तरीकों से ईश्वर प्राप्ति का प्रयास करते हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि इन्हें अलग-अलग प्रकार के ईश्वर की उपलब्धि होती है. ईश्वर केवल एक है, परंतु सांस्कृतिक विभिन्नओं के कारण लोग उसे भिन्न-भिन्न नामों तथा प्रतीकों से जानते हैं. उसके साथ तादात्म्य स्थापित करने के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं. व्यक्ति विशेष के लिए इनमें से कोई तरीका कम या ज्यादा कारगर हो सकता है. यदि कोई धर्म जिंदा रहना चाहते हैं तो उन्हें अपने समर्थकों के लिए आध्यात्मिक परंपरा तथा ऐसी सार्वजनिक पद्धतियां प्रदान करनी चाहिये जिससे उनकी श्रद्धा कायम रह सके. विगत 25 वर्षों से धर्म में लोगों की रुचि में निरंतर गिरती जा रही है. वर्तमान युवा पीढ़ी भौतिक जीवन तथा अपने माता-पिता के धर्म से ऊब-सी गई है.
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प्रवचन:::: ईश्वर एक है
यदि विभिन्न धर्मों, देशों तथा संस्कृतियों के लोग विभिन्न तरीकों से ईश्वर प्राप्ति का प्रयास करते हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि इन्हें अलग-अलग प्रकार के ईश्वर की उपलब्धि होती है. ईश्वर केवल एक है, परंतु सांस्कृतिक विभिन्नओं के कारण लोग उसे भिन्न-भिन्न नामों तथा प्रतीकों से जानते हैं. उसके साथ तादात्म्य स्थापित करने […]
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