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शिविरों में रात को नहीं रहते डॉक्टर

देवघरः श्रवणी मेला 2013 में स्वास्थ्य व्यवस्था भी चौपट है. अधिकांश स्वास्थ्य शिविरों में रात को डॉक्टर, कर्मी नदारद रहते हैं. वहीं शिविर में स्ट्रेचर तक की व्यवस्था नहीं है. अधिकांश स्वास्थ्य शिविर में एंबुलेंस भी नहीं है. गंभीर मरीज आने पर इनलोगों को दूसरे शिविर से संपर्क कर एंबुलेंस मंगाना पड़ता है. कांवरियों के […]

देवघरः श्रवणी मेला 2013 में स्वास्थ्य व्यवस्था भी चौपट है. अधिकांश स्वास्थ्य शिविरों में रात को डॉक्टर, कर्मी नदारद रहते हैं. वहीं शिविर में स्ट्रेचर तक की व्यवस्था नहीं है. अधिकांश स्वास्थ्य शिविर में एंबुलेंस भी नहीं है. गंभीर मरीज आने पर इनलोगों को दूसरे शिविर से संपर्क कर एंबुलेंस मंगाना पड़ता है.

कांवरियों के इलाज के लिए इन शिविरों में जीवन रक्षक दवाइयां भी उपलब्ध नहीं है. बेंडेज पट्टी के नाम पर घटिया सामग्री की आपूर्ति की गयी है. अगर कोई जख्मी मरीज पहुंचता है तो उसकी इंज्यूरी में बेंडेज, पट्टी मोटी परत में लपेटने पर भी खून नहीं रुकता है. अगर कोई ऐसे मरीज पहुंचते हैं जो चलनेफिरने लायक नहीं रहता है. स्ट्रेचर के अभाव में उसे हाथ से टांग कर एंबुलेंस पर चढ़ाना पड़ता है.

इस संबंध में अगर स्वास्थ्य महकमे के किसी वरीय पदाधिकारी से पूछा जाता है तो वे रिवाइंड कैसेट की तरह रटारटाया जवाब देते हैं कि सारी तैयारी पूरी है. पर्याप्त दवा वगैरह उपलब्ध है. किंतु वास्तविकता क्या है, इसकी जांच वरीय अधिकारी शिविर में कभी भी पहुंच कर आसानी से कर सकते हैं. उदाहरण के तौर पर शनिवार देर रात में प्रभात खबर की टीम 24 घंटे संचालित होने वाली आर मित्र स्कूल शिविर में पहुंची तो कोई डॉक्टर ड्यूटी पर नहीं थे. वहीं स्वास्थ्यकर्मी नदारद दिखे. मेला पदाधिकारी डॉ सुनील कुमार सिन्हा के मोबाइल नंबर 9939302767 पर कॉल किया गया तो उनका मोबाइल स्वीच ऑफ था.

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