देवघर: पेड़ पौधों व फूलों की सेवा में जीवन का कीमती समय लगाने में तनिक भी नहीं हिचकते हैं. प्रकृति से मन का अभिन्न लगाव रहता है. एक पुष्प को जब सींचते हैं तो वात्सल्य भाव का आनंद मिला करता है. ऐसी विचारधारा के प्रबल संवहक हैं पवन कुमार. अपनी व्यस्तताओं के बाद भी विभिन्न किस्म के पौधों व फूलों को अपनी छत पर गमलों में उगा रखे हैं.
कई प्लांट ऐसे हैं जो अपने दरवाजे पर लगा रखे हैं. ये इंडोर प्लांट इनकी दो मंजिली इमारत की छत तक झरखों के सहारे शोभा बढ़ा रहे हैं. बागवानी तो इन्हें पुश्तैनी मिली है. छत पर गुलाब की करीब 20 प्रजातियां उगाये हुए हैं. उड़हुल, कैक्टस, बेली, एक्समस ट्री,आधा दर्जन किस्म के गेंदा समेत कई औषधि गुणवाले पौधों को भी लगा रखे हैं. ये मूलत: बिहार के बेगूसराय जिले के मझौल गांव के हैं.
कैसे मिली प्रेरणा
इन्हें अपने पिता राजेंद्र प्रसाद सिंह से प्रेरणा मिली है. कहते हैं कि सबौर कॉलेज से पढ़े थे इनके पिताजी. कृषि निदेशक होने के चलते बागबानी से इनके पिताजी को रुचि थी. बचपन से ही फूलों व पौधों के प्रति पवन कुमार की दिलचस्पी थी. आज भी यह जज्बा कायम है. हर मौसम में बच्चों की भांति फूलों को सींचते थकते नहीं हैं. अपनी पत्नी रूमा देवी की भागीदारी भी मायने रखती है. जब पति बाहर चले जाते हैं तो फूल पत्तियों को सिंचने की जिम्मेवारी अपने हाथ में थाम लेती हैं. दंपती मिल कर बागवानी में प्रतिदिन दो घंटे समय देते हैं. बीमारियों से बचाने या कीड़ों के हमलों से रोकने के लिए तरह-तरह की दवा का प्रयोग पौधों व फूलों पर करते हैं.