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सात वर्षों में भी नहीं बन पाया मधुपुर उपकारा

फोटो संख्या- 9 व 10कैप्सन- चेतनारी स्थित अर्धनिर्मित मधुपुर उपकारा प्रतिनिधि, मधुपुरमारगोमुंडा प्रखंड के चेतनारी में बन रहे मधुपुर उपकारा का निर्माण सात वर्ष बाद भी पूरा नहीं हो पाया है. इसके कारण अब भी कैदियों को देवघर कारा से मधुपुर स्थित कोर्ट 40 किलोमीटर दूरी तय कर लाया और ले जाया जाता है. उपकारा […]

फोटो संख्या- 9 व 10कैप्सन- चेतनारी स्थित अर्धनिर्मित मधुपुर उपकारा प्रतिनिधि, मधुपुरमारगोमुंडा प्रखंड के चेतनारी में बन रहे मधुपुर उपकारा का निर्माण सात वर्ष बाद भी पूरा नहीं हो पाया है. इसके कारण अब भी कैदियों को देवघर कारा से मधुपुर स्थित कोर्ट 40 किलोमीटर दूरी तय कर लाया और ले जाया जाता है. उपकारा का निर्माण साढ़े छह करोड़ की लागत से वर्ष 2008 में शुरू हुआ था, लेकिन तकरीबन 20 प्रतिशत काम ही पूरा होने के बाद निर्माण कार्य बंद पड़ा है. बताया जाता है कि कार्यस्थल पर पानी की कमी और पुराने दर पर प्राक्कलन की राशि होने के कारण संवेदक ने कार्य को बीच में ही छोड़ दिया. काम की गुणवत्ता को लेकर उस समय भी सवाल उठा, जब निर्माण कार्य दौरान बरसात में चहारदीवारी का एक भाग गिर गया. जनवरी 1992 में मधुपुर अनुमंडल का गठन हुआ, जबकि व्यवहार न्यायालय का उद्घाटन मधुपुर में 21 मई 2011 को किया गया था. इससे पूर्व ही उपकारा का निर्माण पूरा हो जाना चाहिए था. उपकारा निर्माण में विलंब के कारण मधुपुर का कोर्ट भी विलंब से प्रारंभ हुआ. इधर 23 जनवरी 2014 को प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मधुपुर के डाकबंगला में 16.86 करोड़ की लागत से पुन: मधुपुर उपकारा का शिलान्यास किया, लेकिन यह शिलान्यास बगैर निविदा निकाले ही कराया गया था. जिसके कारण कार्य आज तक प्रारंभ नहीं हो पाया है. उपकारा निविदा के लिए प्राक्कलन की फाइल अब भी भवन निर्माण विभाग रांची में धूल फांक रही है. उपकारा का निर्माण नहीं होने से प्रत्येक माह कैदियों को मधुपुर से देवघर ले जाने में सरकार का लाखों रुपये खर्च करना पड़ता है.

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