साधक के नाद के अनुभवों को गुरु को छोड़ कोई अन्य व्यक्ति नहीं सकता है. अतएव इन अनुभवों की चर्चा अन्य व्यक्तियों से न करें. अनावश्यक चर्चा करने से बौद्धिक उलझने उत्पन्न हो जाती है.पारंपरिक रूप से नादयोग के साधकों ने चक्रों के जागरण के साथ अपनी चेतना के स्तर को ऊपर उठाया तथा विभिन्न गुण-धर्मों वाले नाद का अनुभव किया था. तत्पश्चात यह अभ्यास बिंदु पर जाकर समाप्त होता था. ऐसा कहा जाता है कि बिंदु पर नाद ऐसा स्वरूप प्राप्त करता है जिसकी पक ड़ तथा समझ मन के परे हाती है.वर्णक्रम (स्पैक्ट्रम) सात रंगों से बनता है. हमारे शरीर में भी सात प्रमुख चक्र होते हैं तथा संगीत में भी सात स्वर होते हैं. एक विशेष आवर्तन पर हमारे अवचेतन में ध्वनियां विशेष रंगों को उत्पन्न करती हैं. किेिेकेहकेहिइकि
प्रवचन ::::अनावश्यक चर्चा करने से बौद्धिक उलझने उत्पन्न हो जाती
साधक के नाद के अनुभवों को गुरु को छोड़ कोई अन्य व्यक्ति नहीं सकता है. अतएव इन अनुभवों की चर्चा अन्य व्यक्तियों से न करें. अनावश्यक चर्चा करने से बौद्धिक उलझने उत्पन्न हो जाती है.पारंपरिक रूप से नादयोग के साधकों ने चक्रों के जागरण के साथ अपनी चेतना के स्तर को ऊपर उठाया तथा विभिन्न […]
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