देवघर : बाबा बैद्यनाथ की महिमा व इनके भक्तों की आस्था का कोई पैमाना नहीं है. कोई सावन में प्रत्येक सोमवारी को डाक कांवर लेकर बाबा पर जलार्पण करते हैं, तो कोई प्रत्येक माह कांवर लेकर आते हैं. वहीं एक भक्त ऐसे भी हैं जिन्होंने अपना घर छोड़ दिया है तथा 15 वर्षों से हर सोमवारी को सुल्तानगंज से पैदल गंगाजल लेकर बाबाधाम आते हैं. इस बार वे दंडवत बाबाधाम पहुंचे हैं. उन्होंने 56 दिनों में सुल्तानगंज से देवघर तक की दूरी तय की और यहां से वे बासुकिनाथ होते हुए वापस सुल्तानगंज दंडवत ही जायेंगे.
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15 सालों से हर सोमवारी को पैदल गंगाजल लेकर आ रहे हैं बाबाधाम
देवघर : बाबा बैद्यनाथ की महिमा व इनके भक्तों की आस्था का कोई पैमाना नहीं है. कोई सावन में प्रत्येक सोमवारी को डाक कांवर लेकर बाबा पर जलार्पण करते हैं, तो कोई प्रत्येक माह कांवर लेकर आते हैं. वहीं एक भक्त ऐसे भी हैं जिन्होंने अपना घर छोड़ दिया है तथा 15 वर्षों से हर […]
बाबा पर है अटूट आस्था
बिहार के मुंगेर जिला अंतर्गत संग्रामपुर के सौढ़ा गांव निवासी 68 वर्षीय निरंजन चौधरी पिछले 15 वर्षों से नंगे पांव पैदल चल रहे हैं. वे सुल्तानगंज से कांवर लेकर प्रत्येक सोमवारी को बाबा पर जलार्पण करते हैं. जलार्पण के बाद पुन: पैदल ही सुल्तानगंज के लिए लौट जाते है. इस बार वे सुल्तानगंज से दंडवत देवघर पहुंचे हैं. यहां से फौजदारी बाबा के दरबार बासुकिनाथ तक जायेंगे. पूजा के उपरांत पुन: दंडवत ही सुल्तानगंज लौट जायेंगे. दंडवत उनकी तीसरी यात्रा है.
इस संबंध में श्री चौधरी ने बताया कि ये हठधर्मिता नहीं है. उनका मानना है कि बाबा ने आदेश दिया है. जबतक बंद करने का आदेश नहीं होगा, तब तक कांवर यात्रा जारी रहेगी. वे बताते हैं कि परिवार में पत्नी समेत तीन बेटी व एक बेटा है. खेती-बाड़ी खास नहीं है. घर कैसे चलता है पूछने पर बताया कि बाबा चलाते हैं. आजतक कोई परेशानी नहीं हुई है. बाबा की कृपा से तीनों बेटी की शादी हो चुकी है तथा बेटा जॉब करता था. पिछले कुछ सालों से वह मानसिक संतुलन खो बैठा है.
कांवर यात्रा में खर्च के बारे में पूछने पर कहा कि आजतक हमने अपनी जेब से कुछ खर्च नहीं किया है. कांवर यात्रा हो चाहे दंडवत यात्रा दिन भर चाय व पानी पीते हैं. रात में विश्राम के समय भोजन करते हैं. वह भी बाबा की कृपा से रास्ते में बाबा के भक्तों के द्वारा प्रबंध हो जाता है. उन्होंने बताया कि वे घर नहीं जाते हैं. परिवार के लोगों को जब भेंट करना होता है, तो वे सुल्तानगंज के मार्ग में आकर ही भेंट करते हैं.
बाबा पर जलार्पण के बाद पैदल ही लौटते हैं सुल्तानगंज
इससे पहले दो बार दंडवत आ चुके हैं बाबाधाम
तीसरी बार सोमवार को दंडवत पहुंचे बाबाधाम, यहां से बासुकिनाथ जाने के बाद वापस दंडवत ही लौटेंगे सुल्तानगंज
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