देवघर : बाबा मंदिर के गर्भगृह की दीवार को चांदी से मढ़ने का विरोध शुरू हो गया है. तीर्थ पुरोहितों काे भी गर्भगृह में चांदी लगाना मंजूर नहीं है. अखिल भारतीय तीर्थपुरोहित महासभा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सह पंडा धर्मरक्षिणी सभा के पूर्व महामंत्री दुर्लभ मिश्रा ने कहा कि बाबा बैद्यनाथ मंदिर अति प्राचीन मंदिरों में से एक है. भगवान शिव यहां समाधि के रूप में जाने जाते हैं. माता सती के संस्कार के बाद भगवान शिव समाधि में चले गये. समाधि से तात्पर्य अन्न-जल त्याग देना है.
यहां भूखे रह कर पूजा का विधान है. यही वजह है कि भक्त बिना अन्न ग्रहण के बाबा की पूजा करते हैं. यहां के पुजारी एक बूंद जल तक नहीं लेते हैं. समाधि स्थल में सौंदर्य व श्रृंगार का स्थान नहीं है. इफको के अधिकारियों द्वारा बाबा मंदिर के गर्भगृह की दीवार को चांदी से मढ़ने की इच्छा जतायी गयी है. हम उनकी भावना का कद्र करते हैं. उन्हें गर्भ-गृह के बाहर चांदी लगाने का विचार करना चाहिए. महासभा के महामंत्री विनोद दत्त द्वारी ने कहा कि सरदार पंडा से इफको के अधिकारियों से हुई बात के विषय में पूछने पर उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर की. सरदार पंडा पुरानी परंपरा के धरोहर के पक्षधर हैं.