वोटर लिस्ट में नाम गड़बड़ी के मामले में एसडीओ कोर्ट ने सुनाया फैसला
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देवघर : मेदिनीडीह मुखिया रीता देवी की उम्मीदवारी अयोग्य
वोटर लिस्ट में नाम गड़बड़ी के मामले में एसडीओ कोर्ट ने सुनाया फैसला देवघर : मोहनपुर प्रखंड स्थित मेदनीडीह पंचायत की मुखिया रीता देवी की उम्मीदवारी को देवघर एसडीओ सुधीर कुमार गुप्ता की कोर्ट ने अयोग्य करार दिया है. यह फैसला पंचायत चुनाव में निर्वाचन याचिका संख्या 4/2016 सोनी कुमारी बनाम रीता देवी व अन्य […]
देवघर : मोहनपुर प्रखंड स्थित मेदनीडीह पंचायत की मुखिया रीता देवी की उम्मीदवारी को देवघर एसडीओ सुधीर कुमार गुप्ता की कोर्ट ने अयोग्य करार दिया है. यह फैसला पंचायत चुनाव में निर्वाचन याचिका संख्या 4/2016 सोनी कुमारी बनाम रीता देवी व अन्य के मामले में दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद सुनाया गया.
मेदिनीडीह मुखिया रीता देवी…
यह याचिका धावाटांड़ गांव निवासी सोनी कुमारी ने दाखिल किया था, जिसमें रीता देवी, नीतू देवी, निर्मला देवी, सबिता कुमारी, आनंदी देवी, ललिता देवी को विपक्षी बनाया गया था. 2015 के पंचायत चुनाव में रीता देवी मुखिया पद पर निर्वाचित हुई थी व सोनी कुमारी मुखिया पद के चुनाव में दूसरे स्थान पर थी. इस मामले में रीता देवी के वोटर लिस्ट 2015 दर्ज नाम को अवैध ठहराने के लिए सोनी कुमारी ने एसडीओ कोर्ट में चुनौती दी थी. याचिकाकर्ता के अनुसार, झारखंड पंचायतीराज अधिनियम 2001 की धारा 18 एवं 152(1) का उल्लंघन है. साथ ही निर्वाचित उम्मीदवार रीता देवी का प्रकाशित वोटर लिस्ट के क्रमांक 198 में रीता देवी पति प्रदीप यादव का नाम दर्ज है, जबकि विजयी घोषित उम्मीदवार के पति का नाम राकेश झा है. इतना ही नहीं, नामांकन प्रपत्र के साथ दाखिल मतदाता पहचान पत्र में रीता देवी का नाम रीता कुमारी पति राकेश झा अंकित है. एसडीओ ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद दिये गये आदेश में कहा है कि प्रथम पक्ष सोनी कुमारी पति उमेश कुमार यादव द्वारा द्वितीय पक्ष रीता देवी पति राकेश झा पर लगाये गये आरोप सही तथा नामांकन पत्र विधि-विरुद्ध प्रतीत होता है जो नियमानुसार स्वीकार नहीं किया गया है. फलत: अधिनियम की धारा 152(1) (घ) (1) के तहत इनकी उम्मीदवारी अयोग्य पाया गया है. आदेश की प्रति उपायुक्त, जिला पंचायतीराज पदाधिकारी व राज्य निर्वाचन आयोग को भेज दी गयी है.
मेरी नहीं सुनी गयी : रीता देवी
वहीं रीता देवी ने कहा : अपर उपायुक्त से मिस केस संख्या 4/16 में एसडीओ कोर्ट की सुनवाई पर रोक लगी हुई है. बावजूद एसडीओ कोर्ट ने सुनवाई शुरू कर दी तो पुन: हाइकोर्ट में डब्ल्यूपीसी 15/17 में याचिका दायर की गयी थी. हाइकोर्ट में मामला विचाराधीन है. बावजूद एसडीओ कोर्ट से फैसला सुनाया जाना न्यायालय का अवमानना है. इसमें मेरा पक्ष भी नहीं सुना गया. इस फैसले के विरुद्ध नियम संवत कदम उठायेंगे.
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