देवघर: बढ़ती आपराधिक घटनाओं की रोकथाम के लिए पुलिस को सघन गश्ती का निर्देश दिया जाता है, लेकिन जब संसाधन ही पर्याप्त नहीं हों तो लोगों को सुरक्षा मुहैया कराना एक बड़ी चुनौती बन जाती है. शहरी क्षेत्र में नगर थाना पुलिस को भी गश्ती के लिए दो वाहन मिले हैं. एक कमांडर जीप तो […]
देवघर: बढ़ती आपराधिक घटनाओं की रोकथाम के लिए पुलिस को सघन गश्ती का निर्देश दिया जाता है, लेकिन जब संसाधन ही पर्याप्त नहीं हों तो लोगों को सुरक्षा मुहैया कराना एक बड़ी चुनौती बन जाती है. शहरी क्षेत्र में नगर थाना पुलिस को भी गश्ती के लिए दो वाहन मिले हैं. एक कमांडर जीप तो दूसरी बोलेरो है. थाना प्रभारी भी सूमो विक्टा से चलते हैं. इन वाहन को चलाने के लिए मात्र दो सरकारी चालक हैं.
24 घंटे इन वाहनों को चलाने की जवाबदेही दो चालकों पर ही है. वाहनों को इंधन प्रति गाड़ी हर महीने 175 लीटर डीजल का आवंटन प्राप्त होता है. दिवा, संध्या व रात्रिकालीन तीन पाली में थाना की गश्ती निकलती है. इसके अलावा खुद थाना प्रभारी भी अलग से गश्ती करते हैं. ऐसे में हर महीने 50 लीटर डीजल एडवांस लेकर स्वीकृति लेनी पड़ती है. एक बार में गश्ती गाड़ी करीब 50 किलोमीटर की दूरी शहर भर में तय कर वापस लौटती है.
स्वागत कक्ष में टूटी कुरसी करती है इंतजार : थाना में प्रवेश करते ही पहले स्वागत कक्ष है, जहां एक टेबुल व एक कुरसी है जहां पुलिसकर्मी बैठते हैं. थाना आने वालों के लिए एक स्टील की कुर्सी भी पड़ी है जो टूटी हुई है. सीढ़ी के नीचे होटल वालों की फाइल पड़ी है. शिकायतकर्ता को कागज-कार्बन भी मांगने पर उपलब्ध करा दिया जाता है. अंदर केस के फाइलों सहित स्टेशन डायरी, एफआइआर व अन्य दस्तावेजों के रखरखाव की अच्छी व्यवस्था है.
सफाई की व्यवस्था नहीं, शौचालय में भी गंदगी : नगर थाना का नया भवन बने करीब पांच साल बीत रहे हैं, लेकिन आसपास सफाई नहीं है. शौचालय भी गंदगी से भरा पड़ा है. पानी के लिए थाना परिसर में एक बोरिंग है. सप्लाई पानी के दो कनेक्शन भी हैं. इसके अलावे एक चापाकल चालू हालत में है.
खुद खाना बनाकर खाते हैं पुलिसकर्मी : नगर थाना में पुलिसकर्मियों के रहने की पर्याप्त व्यवस्था भी नहीं है. थाना भवन के ऊपर में कुछ कमरे हैं, जहां दो-तीन पदाधिकारी व दो पार्टी सशस्त्र बल किसी तरह रहते हैं. इसके अलावे थाना परिसर में पुराना बैरक है, जहां जिला बल के कई जवान समेत गृहरक्षक व तीन-चार एएसआइ भी चौकी लगाकर रखे हैं. धूप-पानी से बचाव के लिए उक्त बैरक के सभी तरफ तिरपाल का परदा बनाकर टांगा हुआ है.
पुलिसकर्मियों के लिए थाना में मेस की व्यवस्था नहीं है. ऐसे में पुलिसकर्मी खुद खाना बनाकर खाते हैं, या बाहर होटल आदि पर निर्भर करते हैं. पुलिस पदाधिकारियों के लिये थाना परिसर में एक ऑफिसर्स क्लब है, जहां करीब दो दर्जन पदाधिकारी रहते हैं. वहां उनलोगों के लिए मेस चलती है.