उपेक्षा. 12 साल में पानी की तरह बह गया पैसा, आस में ही रह गये लोग
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नहीं बना अप्रोच पथ, करोड़ों का पुल बेकार
उपेक्षा. 12 साल में पानी की तरह बह गया पैसा, आस में ही रह गये लोग सारठ : सारठ स्थित खरवाजोरिया पुल डेड असेट्स बन गया है. इस पुल निर्माण पर 3.89 करोड़ खर्च हो चुके हैं. महालेखाकार से लेकर विभाग ने भी इस पुल को अनुपयोगी बता दिया है. पहले यह पुल पीडब्ल्यूडी ने […]
सारठ : सारठ स्थित खरवाजोरिया पुल डेड असेट्स बन गया है. इस पुल निर्माण पर 3.89 करोड़ खर्च हो चुके हैं. महालेखाकार से लेकर विभाग ने भी इस पुल को अनुपयोगी बता दिया है. पहले यह पुल पीडब्ल्यूडी ने बनवाया. डेड असेट्स बनने के बाद इस पल को एनएच में ट्रांसफर कर दिया गया. लेकिन लोगों के जेहन में यह सवाल कौंध रहा है कि आखिर खरवाजोरिया का पुल डेड असेट्स क्यों बन गया.
जनता के पैसे का दुरुपयोग करने वाले विभागीय अधिकारी व काम करने वाली एजेंसी पर अब तक क्या कार्रवाई हुई. विभाग के पास इन सवालों का कोई जवाब नहीं है. यही कारण है कि आज भी 3.89 करोड़ का कुल एक स्मारक बनकर सारठ के लोगों का मुंह चिढ़ा रहा है.
डेंजर जोन बना है पुल
खरवाजोरिया पुल नहीं रहने के कारण अब तक सड़क हादसे में आधा दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. कई घायल हुए हैं. लेकिन अबतक पुल बनाने के लिए विभाग तत्परता नहीं दिखा रही है. आखिर कितने हादसे के बाद विभाग जागेगा यह बड़ा सवाल है.
बड़ा सवाल: क्यों बना खरबाजोरिया पुल डेड असेट्स?
30 दिसंबर 2004 को तत्कालीन विधायक उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह ने उक्त पुल की आधाशिला रखी थी. विभाग ने उक्त कार्य के लिए कैब इंजीनियरिंग कोलकाता को संवेदक नियुक्त किया था. उस समय समय तीनों पुलों का प्राक्कलन 3. 96 करोड़ थी. जिसमें लगभग 70 प्रतिशत कार्य कर दिया गया है. इसमें संवेदक को 2.54 करोड़ भुगतान हो गया. परंतु विभागीय जांच में लोड टेस्टिंग मे फेल कर जाने के कारण विभाग ने कैब इंजीनियरिंग की निविदा रद्द कर दी गयी. दोबारा टेंडर के बाद पूर्ण हुआ कामलोड टेस्टिंग में फेल होने के बाद उक्त एजेंसी की निविदा रद्द हो गयी. उसके बाद विभाग ने फिर टेंडर निकाला और दो स्पेन को तोड़ने एवं निर्माण कराने के लिए अखंड ज्योति देवघर को कार्य आवंटित कर दिया. 1.35 करोड़ पुन: खर्च करके पुल का काम पूरा कराया गया. परंतु जमीन नहीं रहने के कारण एप्रोच पथ आज तक नहीं बन पाया और चार करोड़ का पुल बेकार हो गया है.
कहते हैं कृषि मंत्री
तीन दिन पूर्व ही एनएच ने मधुपूर से देवघर सड़क की निविदा फाइनल कर दी है. 176 करोड़ की लागत से चौड़ी सड़क बनेगी. एनएच ने केपीएल ओड़िशा को टेंडर भी दे दिया है. दोनों निर्माणाधीन पुल की जगह बड़ा पुल बनेगा.
रणधीर सिंह, कृषि मंत्री
पीडब्ल्यूडी व एनएचआइ के पेच में उलझा पुल
इधर महालेखाकार रांची ने इस पुल के निर्माण में खर्च हुई राशि को अनुपयोगी खर्च बताया है और आपत्ति जतायी है. वहीं विभाग ने उक्त पथ व पुल को एनएच में ट्रांसफर कर दिया है. अब पीडब्ल्यूडी व एनएचआइ के पेच में यह पुल फंस गया है और अप्रोच ने इसे डेड असेट्स बना दिया है. इस संबंध में एक अधिकारी ने बताया कि यह निर्माणाधीन पुल एनएच के मानदंड के अनुसार नहीं है. विभाग दोनों पुलों को तोड़ कर एक पुल बनायेगा.
दो साल पहले एनएच को किया ट्रांसफर: इइ
दो वूर्ष पूर्व ही सारठ के खरवाजोरिया पथ व पुल एनएच को ट्रांसफर कर दिया गया है. पुल जिस हालत में था, उसी हालत में एनएच को सौंप दिया गया है. अब एनएच ही इस पुल व एप्रोच पथ का निर्माण कार्य पूर्ण करायेगा.
अमरेंद्र कुमार साहा, कार्यपालक अभियंता, पीडब्ल्यूडी
सड़क हैंड ओवर हुआ पुल नहीं: रामबदन
आरसीडी ने सिर्फ सड़क को हैंड ओवर किया है, पुल नहीं. उस समय जब पुल का काम पूर्ण ही नहीं था तो कैसे ट्रांसफर होता. एनएच को देखना है कि नयी निविदा में इस पुल का प्राक्कलन है या नहीं. मधुपर- देवघर में पांच पुल एनएच बनायेगा.
रामबदन सिंह, कार्यपालक अभियंता, एनएच, देवघर-
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