देवघर: श्रावणी मेले का समापन हो चुका है. भादो मेला के पांच दिन भी खत्म हो चुके हैं. फिर भी शिवगंगा सरोवर का जल निर्मल नहीं हो सका. शिवभक्तों को शिवगंगा के मैले पानी में ही डुबकी लगानी पड़ रही है. नगर विकास विभाग की प्लानिंग धरी की धरी रह गयी. विभाग की 10 करोड़ 81 लाख की लागत से सरोवर की सफाई की योजना पूरी नहीं हो सकी है. नागालैंड की ओजोन रिसर्च एंड एप्लीकेसंस आई प्राइवेट लिमिटेड को शिवगंगा के पानी को अमृतसर के स्वर्ण मंदिर तालाब जैसा बनाने का काम बहुत उम्मीद से सौंपा गया था.
कंपनी ने निर्धारित समय से एक साल देर से काम पूरा होने की बात कहील थी. इसका डिजाइन भाभा ऑटोमिक रिसर्च सेंटर ने तैयार किया. वाटर ट्रीटमेंट प्लांट ने श्रावणी मेला शुरू होते ही पानी साफ करने का काम शुरू भी कर दिया. पूरा जुलाई महीना खत्म होने के बाद भी शिवगंगा का 10 प्रतिशत भाग भी साफ नहीं हो पाया.
सावन में मुश्किल से 10 दिन भी ठीक से मशीन ने काम नहीं किया. कभी तकनीकी खराबी तो कभी तीन फेज बिजली नहीं होने को कारण बताया जाता है.
क्या है पानी की सफाई की प्रक्रिया
इसमें चार एसीएफ व चार पीएसएफ मिला कर कुल आठ टैंक हैं. दोनों के बीच में एक पंप हाउस बना है. पहले के दो पंपों में शिवगंगा का गंदा पानी आता है. वह पंप हाउस में साफ होता है. इसके बाद दूसरे टैंक में पानी साफ होकर चला जायेगा. वहां से शिवगंगा तालाब में भेजा जाता है. शिवगंगा के दक्षिणी क्षोर से पाइप के माध्यम से गंदा पानी को खीच कर टैंक तक लाया जाता है. उसे साफ कर फिर शिवगंगा के उत्तरी छोर पर गिराया जाता है.
दो बार हुआ प्लांट का उदघाटन
शिवगंगा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का दो बार उदघाटन हुआ. सूबे के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बाबाधाम में नौ जुलाई को ऑनलाइन उदघाटन किया. इसके बाद फिर से क्षेत्र की पार्षद शुभलक्ष्मी देवी ने डिप्टी मेयर नीतू देवी व नगर विकास एवं आवास विभाग के सचिव अरुण कुमार सिंह की उपस्थिति में फीता काट कर उदघाटन किया.