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चुआं खोद कर प्यास बुझा रहे लोग
बड़कागांव : बड़कागांव में गरमी आते ही पानी की किल्लत हो गयी है. आसपास के कई तालाब, कुएं व नदियां सूख चुके हैं. इस कारण हर लोगों को नहाने-धोने व पीने के लिए पानी की कमी हो गयी है. किसानों को भी मवेशियों को पानी पिलाने में परेशानी हो रही है. पेयजल स्वच्छता विभाग इस […]
बड़कागांव : बड़कागांव में गरमी आते ही पानी की किल्लत हो गयी है. आसपास के कई तालाब, कुएं व नदियां सूख चुके हैं. इस कारण हर लोगों को नहाने-धोने व पीने के लिए पानी की कमी हो गयी है. किसानों को भी मवेशियों को पानी पिलाने में परेशानी हो रही है. पेयजल स्वच्छता विभाग इस मामले में उदासहै.
दो किमी से लाना पड़ता है पानी
बड़कागांव स्थित कस्तूरबा आवासीय बालिका उच्च विद्यालय की छात्राएं दो किमी दूर से पानी लाने को विवश हैं, जबकि एनटीपीसी द्वारा इस विद्यालय को गोद लिया गया है. इसके बावजूद भी पानी उपलब्ध कराने के लिए कोई पहल नही की गयी है. पानी के अभाव में बालिकाएं कई दिनों तक स्नान नही करती हैं. इस कारण बालिकाएं चेचक रोग से भी ग्रसित है़
चुआं खोद पानी निकालने को मजबूर
कुएं और तालाब सूख जाने व कई चापानल खराब होने कारण नदियों में जाकर महिलाएं चुआं खोद कर पानी निकलने को मजबूर हैं. बड़कागंव मध्य पंचायत,चठकुर मोहल्ला, बढ़ई मोहलप,कुम्हार मोहल्ला, सिरमा, छवानीय,पड़रिया, चोरका समेत कई गांवों में लोग नदियों से चुआं खोद कर पानी लाते हैं.
जनप्रतिनिधियों ने की मांग
मुखिया कैलाश राणा, बादम मुखिया दीपक दास, मुखिया मीरा देवी, पंसस धर्मनाथ महतो ने कहा कि नदियां व तालाब सूख जाने से जानवरों को पानी पिलाने में काफी दिक्कतें होती हैं. जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन से पानी उपलब्ध कराने की मांग की है.
चौपारण : गरमी आते ही चौपारण में जल संकट के बादल मंडराने लगे हैं. मार्च माह में ही अलग-अलग पंचायतों के दर्जनों तालाब सूखने लगे हैं. वहीं कुओं का जलस्तर लगातार घट रहा है.
चापानल में भी पानी का स्तर नीचे जाने से परेशानी बढ़ गयी है. यहां तक की जंगल के सभी जल स्त्रोत लगभग सूख चुके हैं. पानी के अभाव में जंगली जानवर पानी की कमी के कारण गांव का रुख करने लगे हैं. पानी के अभाव में मवेशी इधर-उधर भटक रहे है़ प्रखंड के कुछ गांव को छोड़ कर लगभग गांव के सभी तालाब सूख चुके हैं. समय रहते घटते जल स्तर पर काबू नहीं पाया गया. मई जून माह में बूंद-बूंद पानी के लिए लोग तरस जायेंगे.
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