बोकारो: 11 फरवरी को बालीडीह थाना क्षेत्र के बगलता गांव स्थित बोकारो इस्पात संयंत्र के चहारदीवारी के अंदर सीआइएसएफ व विस्थापितों के बीच झड़प हुई थी. घटना में सीआइएसएफ के जवान व कुछ विस्थापित जख्मी हुए थे. दोनों पक्षों ने स्थानीय थाना में एक दूसरे के खिलाफ परस्पर विरोधी मामला दर्ज कराया है.
पहला मामला विस्थापितों की तरफ से ग्राम तुपकाडीह निवासी सुभाष कुमार के आवेदन पर दर्ज किया गया है. बोकारो इस्पात संयंत्र के महाप्रबंधक शीतांशु प्रसाद, वसंत कुमार, सीआइएसएफ के सहायक समादेष्टा वान खेम, बी राय व सैकड़ों सीआइएसएफ जवान को अभियुक्त बनाया गया है.
विस्थापितों का आरोप : सुभाष कुमार ने बताया : बगलता गांव के पास बीएसएल की क्षतिग्रस्त चहारदीवारी के पास नियम के तहत सूचना देकर गत 22 नवंबर से विस्थापितों का शांति पूर्वक धरना दे रहे थे. 11 फरवरी को अपराह्न् तीन बजे वार्ता के नाम पर विस्थापितों को चहारदीवारी के अंदर बुलाया गया. विस्थापित पत्नी व बच्चों को लेकर चहारदीवारी के अंदर गये. अभियुक्तों ने पहले से बनायी योजना के तहत लाठी चार्ज कर दिया. कई विस्थापित जख्मी हो गये. 10 वर्षीय बच्च विक्रम कुमार भी जख्मी हो गया. महिलाओं के पास मौजूद सोना का चेन व कान बाली सीआइएसएफ के जवानों ने छीन लिया. विस्थापितों का कहना है कि वार्ता के नाम पर उन्हें भीतर बुला कर दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया.
सीआइएसएफ का आरोप : सीआइएसएफ के कंपनी कमांडर अखिलेश कुमार राय ने मामला दर्ज कराते हुए तुपकाडीह निवासी ललित नारायण, बाबू लाल महतो, करम चंद महतो, राज कुमार महतो, तेज नारायण व 40-50 अज्ञात को अभियुक्त बनाया है. कहा : नामजद अभियुक्तों के नेतृत्व में 40-50 महिला-पुरुष बगलता स्थित संयंत्र के अस्थायी चहारदीवारी के पास जमा होने लगे.
धीरे-धीरे अपराह्न् तीन बजे तक सैकड़ों की संख्या में विस्थापित महिला-पुरुष सैकड़ों की संख्या में पत्थर, लाठी, तीर, फरसा आदि लेकर जमा हो गये. अस्थायी चहारदीवारी को तोड़ कर उपद्रवी संयंत्र में प्रवेश कर तोड़-फोड़ करने लगे. मना करने पर सीआइएसएफ के जवानों पर पत्थर व धारदार हथियार से हमला कर दिया. तीन जवान गंभीर रूप से जख्मी हो गये. उपद्रव मचाने वाले एक व्यक्ति प्रेम महतो को पकड़ कर पुलिस के हवाले किया गया. सरकारी कर्मचारी पर जानलेवा हमला कर जख्मी करने, ड्यूटी में बाधा पहुंचाने व बिना प्रवेश पत्र के गैर कानूनी तरीके से संयंत्र में प्रवेश करने का आरोप विस्थापितों पर लगाया गया है.