बोकारो: बोकारो स्टील प्लांट बोकारो थर्मल में लगना था. दरअसल तब अमेरिकी सहयोग से बोकारो स्टील प्लांट का निर्माण होना था. इलाके का नाम बोकारो थर्मल होने व बोकारो थर्मल के नाम से पावर स्टेशन पहले से ही स्थापित होने के कारण उस समय इस स्टील प्लांट को भी बोकारो परियोजना का नाम दिया गया. पहले नाम हिंदुस्तान स्टील लिमिटेड था. निर्माण में रूसी सहयोग का निर्णय होने के बाद भी स्थल बोकारो थर्मल ही रहा. लेकिन कोल बियरिंग एरिया होने के कारण स्थल बदल दिया गया. ऐसे में तत्कालीन माराफारी का चयन प्लांट स्थल के रूप में हुआ. उल्लेखनीय है कि बोकारो स्टील प्लांट की स्थापना से पूर्व ही बेरमो अंचल के बोकारो थर्मल में बोकारो थर्मल पावर स्टेशन बन चुका था.
विश्व मानचित्र पर बोकारो : आज बोकारो स्टील लिमिटेड पचास साल का हो गया. बोकारो को विश्व मानचित्र पर ला कर खड़ा करने वाला स्टील प्लांट ने अपने शुरुआती दौर से लेकर गोल्डेन जुबली तक के सफर को स्टील की मजबूती से जीया है. झारखंड जैसे खनिज संपन्न राज्य के मुकुट में एक नगीना की तरह चमकता बीएसएल राज्य के विकास का अगुआ माना जाता है. अगर राज्य औद्योगिक हब है तो, बीएसएल इसका अधिकेंद्र. इसके लिए जितने भी कसीदे गढ़े जायें कम ही होंगे.
एक ही जगह सबसे ज्यादा स्टील बनाने का गौरव|
सेल की योजनाओं के तहत बोकारो स्टील प्लांट की वर्तमान 4़ 585 मिलियन टन की हॉट मेटल उत्पादन क्षमता को बढ़ा कर 2025 तक 14 से 16 मिलियन टन तक ले जाया जायेगा. इसके लिए लगभग 60 हजार करोड़ रुपयों का निवेश होगा. झारखंड ही नहीं, बल्कि सेल के शानदार उपक्रमों में एक ‘बीएसएल’ को देश में एक ही जगह सबसे ज्यादा स्टील बनाने का गौरव भी प्राप्त है.
आर्थिक स्वावलंबन देने में मील का पत्थर
60 के दशक में तत्कालीन माराफारी समेत अन्य कई गांवों की धरती पर स्थापित बोकारो स्टील प्लांट देश को इस्पात के साथ-साथ आर्थिक आत्मनिर्भरता देने में मील का पत्थर साबित हुआ है. आज की तारीख में यह सेल की सबसे महत्वपूर्ण इकाई है. इस प्लांट के कारण ही बोकारो जैसा एक सुंदर, सुव्यवस्थित व सुसंपन्न शहर स्थापित हुआ. देश-दुनिया के लाखों लोग यहां बसे. यह कहना उचित होगा कि आज प्लांट है, तभी बोकारो है.